Friday, October 26, 2007

******उल्फत*******

तेरी उल्फत मे हम सब कुछ भुला बैठे,
फिर भी है इल्ज़ाम के हम तुझको भुला बैठे,

ज़िन्दगी मे बहुत मायूसियों ने घेरा हमे,
हाल फिर भी तेरी राह मे है दीप जला बैठे,

रिशतो के दामन से हमे आग ही मिली,
इस आग मे हम अपनी हर चीज़ गवा बैठे,

जाने कहा होगी इस रात की सुबह
जिसकी उम्मीद मे हम खुद को मिटा बैठे..........



Shayad Meri Nazar Mein Isska Jawab Yahi ho Sakta Hai.............


मुझे इस बात का गम नही के मै तेरे दिल मे नही,
खुशी इस बात की है के तू मेरे दिल मे तो है,

ना इस बात का मलाल है के मै तेरे गीतो मे नही,
फक़्र इस बात का है के तू इस ज़िन्दगी मे शामिल तो है,

मै ना भी हो सकती हूँ तेरे यादो मे शरीक़,
मगर तेरी यादो के आंसू मुझे हासिल तो है.....

******दिल की कहानी*************

क़ुछ दूर हमारे साथ चलो हम दिल की कहानी कह देंग़े,
समझे ना जिसे तुम आंखो से वो बात ज़ुबानी कह देंग़े,

फूलो की तरह जब होठो पर इक शोक तबसुम बिखरेगा,
धीरे से तुम्हारे कानो मे इक बात पुरानी कह देंगे,

इज़्हार-ए-वफा तुम क्या समझो इक़रार-ए-वफा तुम क्या जानो,
हम ज़िक्र करेंगे गैरो का और अपनी कहानी कह देंग़े,

मौसम तो बढा ही ज़ालिम है तूफान उठता रहता है,
कुछ लोग मगर इस हलचल को बदमस्त जवानी कह देंग़े,

समझे ना जिसे तुम आंख से वो बात ज़ुबानी कह देंग़े,
कुछ दूर हमारे साथ चलो हम दिल की कहानी कह देंग़े.....................

Thursday, October 25, 2007

*****तम्मना******

मै हूँ या तू है, खुद से गुरेज़ा जैसे,
मेरे आगे कोई साया है, खरमान जैसे,

तुझसे पहले तो बहारों का, ये अंदाज़ ना था,
फूल यू खिलते है, जलता हो गुलिस्तान जैसे,

यूं तेरी याद से होता है, उजाला दिल मे
चाँदनी मे चमक उठता है, बयाबान जैसे,

दिल मे रोशन है, अभी तक तेरे वादो के चिराग
टूट-ती रात के तारे हो, फरोज़न जैसे,

तुझे पाने की तम्मना, तुझे खोने का यक़ीन,
तेरा वजूद, मेरे माहौल मे गलतान जैसे,

वक़्त बदला पर, ना बदला मेरे मयार-ए-वफा,
आंधियो मे, सर-ए-कोहसार चरागन जैसे,

ज़ख्म बढाता है ज़माना, मगर इस तरह,
सी रहा हो कोई, फूलो के गिरेबान जैसे...........

*******उसने कहा***********

उसने कहा मुझसे कितना प्यार है
मैने कहा सितारो का कोई शुमार है..?

उसने कहा कौन तुम्हे है बहुत अज़ीज़
मैने कहा दिल पे जिसका इख्तियार है.

उसने कहा कौनसा तोहफा है पंसद?
मैने कहा वो शमा जो अब तक उधार है.

उसने कहा साथ कहा तक निभाओगे..?
मैने कहा जितनी ये सांसो की तार है

उसने कहा मुझको यक़ीन आये किस तरह.
मैने कहा मेरा नाम ही ऐतबार है..!

********क़ुरबत***************

नफरते भी उस से, मोहब्बते भी उस से
ये दिलके मामले भी हुआ करते है अजीब,

ना टूट कर जुडे, ना जुड कर कभी टूटे
ये क़ुरबतो के फासले भी हुआ करते है अजीब,

उसे देखूँ तो ना चाहूँ, ना देखूँ तो चाहूँ
ये दिल के फैसले भी हुआ करते है अजीब,

वो मिले तो ना मिले, वो ना मिले तो मिलने की जुस्तुजू करू
ये मोहब्बते से से इम्तेहान भी हुआ करते है अजीब..............

*****बयान-ए-रक़ीब*******

तुम और फरेब खाओ बयान-ए-रक़ीब से
तुमसे तो कम गिला है ज़्यादा है नसीब से,

गोया तुम्हारी याद ही मेरा इलाज है
होता है पहरो ज़िक्र तुम्हारा तबीब से,

बर्बाद-ए-दिल का आखिरी सरमाया थी उम्मीद
वो भी तो तुमने छीन ली मुझ गरीब से,

धुन्धला चली निगाह दम-ए-वापसी है अब
आ पास आ के देख लू तुझको करीब से................

******मजमा-ए-गम********

कुछ उनसे मोहब्बत मे सौगात ये लाये है
दिल मे मजमा-ए-गम हम उनका बसाये है,

खुद हो बैठे घायल इस जंग-ए-मोहब्बत मे
कुछ तीर मोहब्बत के हमने भी चालाये है,

वो पास नही तो क्या पर दुर नही हम से
दिल मे है हमारे ही चाहे वो पराये है,

कैसे कह दूं तन्हा दिन-रात गुज़रते है
दिल मे लम्हा-लम्हा वो है के समाये है,

ना पूछो ये हम से अश्को का सबब क्या है
कुछ ज़ख्म मोहब्बत के ताज़े हो आये है...............................

Tuesday, October 23, 2007

*********सज़ा**********

ज़िन्दगी को ना बना ले वो सज़ा मेरे बाद
हौसला देना उन्हे मेरे खुदा मेरे बाद,

हाथ उठे हुए उनके ना कोई देखेगा
किस के आने की करेंगे वो दुआ मेरे बाद,

कौन घूंघट को उठायेगा सितामगर कह कर
और फिर किस से करेंग़े वो प्यार मेरे बाद,

फिर ज़माने मे मोहब्बत की ना परिस्तिश होगी
रोयेगी सिस्किया ले ले के वफा मेरे बाद,

वो जो कहता था की सिर्फ तेरे लिये जीता हूँ
उस का क्या जानिये क्या हाल होगा मेरे बाद........................

Saturday, October 20, 2007

*******मज़बूरी*********

वो हमको बुलाते है हम जा भी नही सकते
मज़बूरी मगर उनको बतला भी नही सकते,

ना जाने खता क्या है इस कदर खफा है वो,
पहलू मे उन्हे अपने हम ला भी नही सकते,

चाहे ना बिठाये वो मेहफिल मे हमे अपनी
दिल मे वो हमारे है ठुकरा भी नही सकते,

अब आखिरी सांसे है जाते है जहाँ से हम
संदेशा उनको भिजवा भी नही सकते..................

*****इकरार******

कुछ हम को ज़माने ने वो गीत सुनाये है
दो अश्क़ मोहब्बत के आंखो मे समाये है,

माना के मुलाकातो का वक़्त नही आया
हर रात को ख्वाबो मे तशरीफ वो लाये है,

इकरार की आदत तो दिलबर को नही मेरे
ये बात अलग है के वादे ना निभाये है,

करते थे कभी उनकी सुरत से बहुत बातें
कैसे कह दे हम ने वो लम्हे गवाये है,

रू-बा-रू कभी उनका दीदार ना कर पाये
आखिर मयात पर वो आये है.

******बद-नज़र*********

मै चली थी हंस के मगर मुझे मेरी ज़िन्दगी ने रुला दिया
क्या कहूँ मुझे किस बात का मेरी ज़िन्दगी ने सिला दिया,

मेरे दिल मे भी थी हसरते मेरी आंखो मे भी ख्वाब थे
कोई बद-नज़र मुझे लग गयी मेरा आशियाना जला दिया,

मैने जिसकी खातिर अपने सब गम-ओ-रंज की परवाह ना की
मुझे अपने दिल से उसने क्यों मानीन्द-ए-गैर भुला दिया,

तसीर-ए-इश्क़ तो देखिये पत्थर भी मोम हो गया
मैने भी उसके ज़िगर पर एक तीर ऐसा चला दिया,

उसकी भी थी मज़बूरिया मुझे उस से कोई गिला नही
मेरी याद ने मेरी कब्र तक उसको भी आखिर ला दिया.........................

******दर्द-ए-नायाब सी आँखें*************

दर्द-ए-नायाब की तस्मील है उसकी आँखें
आईना है तो कभी झील है उसकी आँखें

खुद मैं उस शख्स की तस्वीर बा-ज़हीर देखूं
मेरी आँखों मे जो तहवील है उसकी आँखें

गर मुमकिन है किसी तरह भटक जाऊं मैं
राह-ए-एहसास में क़ंदील है उसकी आँखें

हमने देखा है समंदर की तहों मे जाकर
दर्द-ए-इर्फान की ज़ंबील है उसकी आँखें

जिसकी तौजीब ना कर पायी हो किसी ने भी
इस मज़मूम की तस्फील है उसकी आँखें.

******मोहब्बत**********

मोहब्बत के अनोखे थे सभी अंदाज़ क्या करते?
रहे हम भी गुरेज़ान आप भी नराज़ क्या करते?

सनम तुझसे मोहब्बत का भला आगाज़ क्या करते?
लबो पर बात आयी पर ना थी आवाज़ क्या करते?

मिर-ए-एहबाब क्या करते मिर-ए-दामसाज़ क्या करते?
मुझे जब दर्द ही था रास चेहरा सजा क्या करते?

हूजुम-ए-शहर मे हम खो गये कुछ चैन पाने को
अकेले मे सताती थी तेरी आवाज़ क्या करते?

दिल-ए-नाज़ुक हमारा उसने पल मे तोड डाला था
उसे भाती थी टूटे काँच की आवाज़ क्या करते?

सजा कर सौ तबस्सुम एक गम से छुपाते थे
मगर तुम जान के वो राज़ क्या करते?

*******बेगाना********

जबसे तुमने हमको यूं बेगाना कर दिया
दिल ने रोने का कोई ना कोई बहाना कर दिया,

आया था कोई नक़ाबपोश खंजर लिये हुए
जानकर भी हमने उसे अंजाना कर लिया,


गयी रुठो मे आया था सैलाब इश्क़ का
जिसने बहार से मेरे घर को वीरान कर दिया,


प्यासा ही रखा समुंद्र ने हमे
अब सेहरा मे हमने अपना बसेरा कर लिया...........

******रिश्ता********


जब से तुने मुस्कुराना छोडा है
फूलो ने बागो मे आना छोडा है,


उल्फत मे अब वो कहाँ लज़्ज़त है बाकी
जबसे तुने दिल को दुखाना छोडा है,


मोड पे कैसे आये मरासीम अब अपने
रूठना तुमने और मैने मनाना छोडा है,


वक़्त-ए-वस्ल मे तेरा गैर सा मिलना
बेहर्म गैरत-ए-इश्क़ ने अब करना छोडा है,


वलवाले दिल के किसको दिखाऊंगी अपने
तुने तो वो रिश्ता ही निभाना छोडा है.................

******ख्वाहिश********


एक ख्वाहिश है, झलक मिल जाये उस चेहरे की
कि इस दीदार की बाब की कोई तम्मना ना रहे,


एक ख्वाहिश है, उस दिल तक पहुँचे सदायें
कि दो दिलो की धडकनो मे कोई दूरी ना रहे,


एक ख्वाहिश है, रिश्ता जूड जाये उस नाम से
कि फिर जूडा रहने की कोई मजबूरी ना रहे,


एक ख्वाहिश है वो हाथ थाम ले इस तरह
कि फिर इस दिल की कोई कमजोरी ना रहे,


एक ख्वाहिश है मौत आ जाये उनकी बाहो मे
कि फिर ज़िन्दगी से कोई शिकायत ना रहे,


एक ख्वाहिश है कि लौट आये वो
कि फिर इन्तेज़ार की कोई वजह ना रहे,


एक ख्वाहिश है भर जाये खुशियो से दामन
कि किसी गम की कोई जगह ना रहे,


एक ख्वाहिश है संग चले वो उम्र भर मेरे
कि फिर किसी और का आसरा ना रहे,


एक ख्वाहिश है कि पूरी हो जाये हर ख्वाहिश इस दिल की
कि फिर खुदा से कोई इल्तज़ा ना रहे......................

*******किस्मत*********


तेरी यादो के बिना कोई लम्हा गुज़ारा नही
एक पल ऐसा नही जब हमने तुम्हे पुकारा नही,


मेरी कोशिश कामयाब तो हुई नही
अगर आप जीते है तो मै हारी भी नही,


शायद हमारी किस्मत मे साथ तुम्हारा नही
कश्ती भी है माज़ी भी है पर किनारा नही,


कर रखा है जिसने सारे घर मै उजाला
आंसू है मेरा ये कोई टूटा हुआ तारा नही,


किसके गले से लगकर रोये हम
इस भरी दुनियाँ मे अपना कोई सहारा नही,


वो आके पोंछ दे आंसू हमारी आंखो से
हमारी किस्मत को तो ये भी गवारा नही.............................

*******प्यार का शौक*********


मेरे दर्द-ए-दिल की थी वो दास्तान, जिसे हंसी मे तुमने उडा दिया
जिसे बचाया था सम्भल सम्भल कर, वो दर्द तुमने जगा दिया


मुझे प्यार का शौक ना रहा, मेरे दोस्त भी है सब बेवफा
जो करीब आये तो ज़िक्र हुआ, जो दूर हुए तो भूला दिया


वो जो मिलते थे कभी रात मे, गिले होते थे उनकी हर बात मे
ना वो दिल रहा, ना वो दोस्त रहा, मैने ख्वाबो को भी सूला दिया


वो तो कहते थे हर बात मे, कि हम ही बसते थे उनकी ज़ात मे,
मै ना जान सकुंगी ये कभी, क्यों मुझको दिलसे भूला दिया.

Friday, October 19, 2007

******दिललगी********


अजीब तरह से सोचा है ज़िन्दगी के लिये
के ज़ख्म ज़ख्म मे खुलती हूं हर खुशी के लिये


वो मुझको छोड गया तो मुझे यकीन आया
कभी कोई शक्स ज़रूरी नही किसी के लिये


सवाल ये है ये उसने कभी नही पूछा
कि तुम सोचती कैसे हो शायरी के लिये


उसे खबर है कि उसका कोई नही अपना
एक आशनायी भी काफी है अजनबी के लिये


खता किसी की हो लेकिन सज़ा किसी को मिले
ये बात छोडी है हर सदी के लिये


ये सादगी थी मेरी या साद चाहत थी
कि मैने खुद को किया पेश दिललगी के लिये.

******नक़्श******


बिछडा है तो एक पल भी बुलाया नही जाता
वो पहेली मुलाक़त का नक़्श मिटाया नही जाता


एक शक्स की आवाज़ पे यूं दौड रही हूं
गर वक़्त भी रूक जाये तो भी ठहरा नही जाता


जब बात करू उस से तो नज़रे नही उठाती
और नज़रे उठाती हूं तो बोला नही जाता


खो जाती है आंखे भी नींद भी दिल भी
एक उस से जो मिल ना लू तो मेरा क्या नही जाता.

*******वो सब समझ लेते है**************


दिल की बात दिल मे ना रह सकेगी
कुछ लोग चेहरे पड लेते है,


हमने उनसे कभी कुछ ना कहा
हमारी आंखो से वो सब समझ लेते है,


एक बार फिर ख्याल आता है कि उनकी राह देखे
उनकी रुसवाई के डर से क़दम हम रोक लेते है,


खिज़ान शुरू होने को है बहार तो बहुत दुर है
उनकी बातें सुनकर हमेशा फूल दिल मे खिलते है,


दोस्तो ने फिर बहुत समझाया दिललगी ठीक नही
लेकिन हम फिर भी वोहि अपने दिल की सुन लेते है,


दिल जब शिद्दत-ए-ज़ज़्बात से भर जाता है
हम कुछ साज़ छेड कर दिल को बहला लेते है,


और जब हाल-ए-दिल सुना ना सके बात समझा ना सके
हम भी कुछ शेर लिख कर दिल को हल्का कर लेते है..................

*******फासले*********


Yeh Woh Dastan Hai, Jab ISHQ mein insan Poori Tarah Se Toot Chuka Hota Hai,

Phir Bhi Woh Apne Mehboob Ko Kucn Nahi Keh Pata Hai, Siway Usske Yaad Mein Tadapne Ke...............


मै वोहि हूं जिसे तुम प्यार किया करते थे
दिन मे सौ बार मेरा नाम लिया करते थे,....................


आज क्या बात है क्यो मुझसे खफा बैठे हो
क्या किसी और का दिल अपना बना बैठे हो ?..........


फासले पहले तो इतने ना हुआ करते थे
मै वोहि हूं जिसे तुम प्यार किया करते थे..................


माना की ये गम है कोई सौगात नही
तुम हमे अपना कहो ऐसे भी हलात नही
अगर भूल गये हो, तो कोई बात नही.............


ज़ख्म तो पहले भी इस दिल पे लगा करते थे
मै वोहि हूं, जिसे तुम प्यार किया करते थे...........


जी मै आता है की आज तुम्हे तडपा दूं
दर्द जो तुमने दिये वो सब तुम को लौटा दूं
अगर भूल गये हो तो ये बतला दूं............


तुम मुझे हासिल-ए-अरमान कहा करते थे
मै वोहि हूं जिसे तुम प्यार किया करते थे...................

*****हमसफर*******


तन्हा हूं इस दस्त मे साथ दे कोई
हाथो मे दे हाथ ऐसा हो हमसफर कोई

मै हूं प्यासी और तेरी आंखे है झील
इस झील तक मुझको पहुँचा तो दे कोई

निभाऊंगी तमाम उम्र अब तेरे साथ
शर्त ये है की ना आये दुसरी कोई

मै लिख तो लू दिल पे वो नाम मगर
तेरा नाम तो मुझको बता दे कोई

वो ना भी मिला तो क्या उसकी यादे तो है
बस इन यादो को ना मुझसे छिने कोई.

Thursday, October 18, 2007

*****गुज़ारिश******


सिर्फ इतना कहना है प्यार है तुमसे
जज़्बातो की कोई नुमाईश नही कि हमने,


प्यार के बदले सिर्फ प्यार मांग़ा है हमने
रिश्ते की तो कोई गुज़ारिश नही की हमने,


चाहते हो तो भूला देना हमे दिल से
सदा याद रखने की सिफारिश नही की हमने,


खामोशी से तूफान सह लेते है हम तो
उन बादलो ने इज़्हार की बारिश नही की हमने,


तुम्हे ही माना है रहनुमा अपना
और तो किसी चीज़ की ख्वाहिश नही की हमने,


सिर्फ इतना कहना है ..................

*******निगाह********


मेरी तेरी निगाह मे जो लाख इन्तेज़ार है
जो मेरे तेरे तन बदन मे लाख दिल फिगार है


जो मेरी तेरी उंगलियो की बेहिसी से सब क़लाम नज़ार है
जो मेरे तेरे शहर की हर एक गली मे


मेरे तेरे नक़्श-ए-पा के बे-निशान मज़ार है
जो मेरी तेरी रात के सितारे ज़ख्म ज़ख्म है,


जो मेरी तेरी सुबह के गुलाब चाक चाक है
ये ज़ख्म सारे बे-दवा ये चाक सारे बे-रफु,


किसी पे राख चाँदकी किसी पे उस का लहू
ये है भी या नही बताये है की महज़ जाल है,


मेरे तुम्हारे अन्काबू-ए-वहम का बुना हुआ

जो है तो इस का क्या करे..........

नही है तो भी क्या करे...................

Kuch Nacheez Se Nagmen.........

Kuch Chand Naccheez Se Nagme Peshe Khidhmat Hai...........


क्या हुआ मैने अगर हाथ बढाना चाहा,
आपने खुद भी तो दामन ना बचना चाहा,
यूं तो फासने-ए-उल्फत था गज़ल से रंगीन,
हमने तो कुछ और भी रंगीन बनाना चाहा.



आपसे दुर भला हम कैसे रह पाते,
दिलसे आपको कैसे भुला पाते,
काश की आप सांसो के अलावा आईने मे भी बसे होते,
खुद को देखते तो आप ही नज़र आते.



सपने थे सपनो के आप साहिल हुए,
ना जाने कैसे हम आपकी दोस्ती के काबिल हुए,
कर्ज़दार है हम उस हसीन पल के,
जब आप हमारी छोटी सी दुनियाँ मे शामिल हुए.





कितनी बेचैन है ये सांसे मेरी
बिना तेरे बहुत रोती है ये आंखे मेरी,

कब से मेरी आंखो को नींद आती है नही
बाहे मांग़ती है मुझ से राते तेरी,

जान आजाओ के अब दिल कही लगता ही नही
तुम को बुला रही है ये बाहे मेरी,

कितनी बेचैन है ये सांसे मेरी,
बिना तेरे बहुत रोती है ये आंखे मेरी,.........................................


Ek Nacheez............

Kuch Gungunaten Hai.............


Bahut Dinon baad Nacheez Ne Kuch Pesh Karne Ki Zurrarat ki Hain,
Au Ummed Karti Hoon Ki Uska Andazen Bayan Aapko Pasand Aayeega……………….


Yuun Hee Hum Zehmat Uthaten Hain
Chand Shabdh Gungunaten Hain,


Woh Bataten Hain Raah Duniya Ko
Lekin Khud Apni Galiyon Ko Bhool Jaaten Hain,


Leten Parwaaz Ab Bhi Nahi Woh Aksar
Sirf Apne Parr Hee Fadfadaten Hain,


Paanv Apne Uth Hee Nahi Paten
Aur Woh Humen Hurr Lamhan Bulaten Hai,


Aap Kehten Hai Likha Hai Kya Humne
Aur Hum Hain Ki Buss Muskuraten Hain,


Jinko Dariya Dubon Nahi Payan
Ek Chullun Bhar Mein Who Doob Jaten Hain,

Uske Hothon Ki Mayen Kabhi Pee Theen Humne
Umrr Guzrteen Hain Aab Buss Ladkhadaten Main,


Ek Tasveer Ka Sahara Lekar Jeteen Hai Hum
Apni Gumgeen Tanhayiaan Bitane Mein………………….