Saturday, October 20, 2007

*****इकरार******

कुछ हम को ज़माने ने वो गीत सुनाये है
दो अश्क़ मोहब्बत के आंखो मे समाये है,

माना के मुलाकातो का वक़्त नही आया
हर रात को ख्वाबो मे तशरीफ वो लाये है,

इकरार की आदत तो दिलबर को नही मेरे
ये बात अलग है के वादे ना निभाये है,

करते थे कभी उनकी सुरत से बहुत बातें
कैसे कह दे हम ने वो लम्हे गवाये है,

रू-बा-रू कभी उनका दीदार ना कर पाये
आखिर मयात पर वो आये है.

4 comments:

Anonymous said...

bahut khub priyanka ji aapne jo baat shayarna andaz mein kahi hai hai wo kafi had tak sahi bhi hai.........

Raj said...

प्रियाजी...God Bless you!!!
हम तो घायल हो गये मोहब्बत की नज्म से.....
क्या कहें ......आपको कुछ समझ आता नही...
दिल के आईने में जो तस्वीर बनी वो पेश है...

**शिकयात न थी न है न होगी**

गम-ए-यार से शिकायत कभी थी न है न होगी
हमें गैर से मोहब्बत कभी थी न है न होगी
मेरे दिल के आईने में बसी है तुम्हारी ही सूरत
किसी और की जो सूरत कभी थी न है न होगी
तुम्हारी जान-ए-वफा मैं मुझे मिल गया सब कुछ
मुझे आरजू में जन्नत की कभी थी न है न होगी

आपका.....प्रियराज

Raj said...

रू-बा-रू कभी उनका दीदार ना कर पाये
आखिर मयात पर वो आये है.
वाह वाह, बहुत खूब, प्रिया जी.......

*****उनकी फ़रियाद*****

उन्हें तो फ़ुर्सत नहीं मिलने की हमसे,
हमारा वक्त गुजरता है उनकी फ़रियाद करके ।
अगर सुन के आयें वो मेरी मौत पर,
तो कह देना अभी सोयें हैं तुम्हें ही याद करके ॥

"प्रियराज"

Raj said...

*****रखे खुदा ने दो रास्ते*****

रखे खुदा ने रास्ते मुझे आजमाने के लिए,
वो छोड दे मुझे या मैं छोड दूं उसे जमाने के लिए|
कैसे मांग लूं रब से उसको भूल जाने की दुआ,
हाथ उठते नहीं हैं दुआ में उसे भूल जाने के लिए|
नहीं की जिन्दगी में उसके साथ कोई भी नेकी,
पर फ़ेरी हैं कुछ नमाजें मैंने उसे पाने के लिए|
नहीं है तो ना सही वो किस्मत में मेरे लिए,
पर एक मौका तो दे ए-रब ये आंसूं दिखाने के लिए|

"प्रियराज"