दर्द-ए-नायाब की तस्मील है उसकी आँखें
आईना है तो कभी झील है उसकी आँखें
खुद मैं उस शख्स की तस्वीर बा-ज़हीर देखूं
मेरी आँखों मे जो तहवील है उसकी आँखें
गर मुमकिन है किसी तरह भटक जाऊं मैं
राह-ए-एहसास में क़ंदील है उसकी आँखें
हमने देखा है समंदर की तहों मे जाकर
दर्द-ए-इर्फान की ज़ंबील है उसकी आँखें
जिसकी तौजीब ना कर पायी हो किसी ने भी
इस मज़मूम की तस्फील है उसकी आँखें.
1 comment:
ek baarfir aapki urdu mujh par bhari padi puri baat samajh mein nahi aayee aur jitna maine guess kiya us hisab se ek baar fir baat dil ko chuti hai.............
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