दिल की बात दिल मे ना रह सकेगी
कुछ लोग चेहरे पड लेते है,
हमने उनसे कभी कुछ ना कहा
हमारी आंखो से वो सब समझ लेते है,
एक बार फिर ख्याल आता है कि उनकी राह देखे
उनकी रुसवाई के डर से क़दम हम रोक लेते है,
खिज़ान शुरू होने को है बहार तो बहुत दुर है
उनकी बातें सुनकर हमेशा फूल दिल मे खिलते है,
दोस्तो ने फिर बहुत समझाया दिललगी ठीक नही
लेकिन हम फिर भी वोहि अपने दिल की सुन लेते है,
दिल जब शिद्दत-ए-ज़ज़्बात से भर जाता है
हम कुछ साज़ छेड कर दिल को बहला लेते है,
और जब हाल-ए-दिल सुना ना सके बात समझा ना सके
हम भी कुछ शेर लिख कर दिल को हल्का कर लेते है..................
1 comment:
प्रियाजी
आपने चाहे कुछ न कहा हो आंखों ने लिख दी इबारत जुबान की इस तरह क्या कहूं ...
".....हमने उनसे कभी कुछ ना कहा
हमारी आंखो से वो सब समझ लेते है,"
प्रियराज
"उन्हें किस्सा ए गम जो लिखने को बैठे तो"
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उन्हें किस्सा ए गम जो लिखने को बैठे तो
देखे कलम की जवानी में आंसू
ऐ अनमोल तारे ऐ उल्फत के मोती
उन्हें हमने भेजे निशानी में आंसूं
मेरा दर्द उल्फत उन्हें खींच लाया
नजर जो उठाई तो सामने थे
हमारी खुशी का वो आलम न पूछो
निकल आये ये जवानी में आंसू
मेरे आंसुओं में छुपे हैं वो तूफां
जो मचले तो सारे जहां को डुबो दें
अभी तुमने दुनियां में देखा ही क्याहै
लग देतें हैं आग पानी में आंसू
ये आंसू के जुगनू मेरी रोशनी हैं
अंधेरे में राहें दिखाते हैं मुझको
न समझेगी दुनियां न समझोगी तुम भी
झलकते हैं मेरी कहानी में आंसू
"प्रियराज.....!!!"
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