Saturday, April 21, 2007

***नज़र*****


नज़र भर के हमें देख लो तो हम जिंदा हो जाए।
रूकी हुई सासों मे फिर से जान आ जाए।।

दिल तो कहता है आप मेरे ही हो जन्मों से।
डरती हूँ कहीं आप फिर से खफ़ा ना हो जाए।।

दिल के तमाम जख्मों पर आप बस हाथ रख दो।
बेइन्तहां दर्द में भी मुझे कुछ तो करार आ जाए।।

खुदा के वास्ते छीन भी लो अब मेरे होश-ओ-हवास।
होश आया तो आपसे दूरी के डर से कहीं मर ना जाए।।

छोड़ ना जाना मुझे कहीं आप गमों के इस मझधार में।
आप चाहो तो मेरी जीवन की कश्ती उस पार लग जाए।।

Regards,

Wednesday, April 18, 2007

*****जफ़ा*******


प्यार कर के जफ़ा हम सहें या नहीं
सुन के इलज़ाम चुप हम रहें या नहीं

राज़ ज़ाहिर न हो कोई रुसवा न हो
दर्द दिल का किसी से कहें या नहीं

रोके रुकते नहीं चुप ये रहते नहीं
इश्क में अश्क मेरे बहें या नहीं

दिल में इन को सजाऊं भला कब तलक
ख्वाब के खन्डहर अब ढहें या नहीं

क्या सबब था हुए दूर हम से
राज़ की ये खुलेंगी तहें या नहीं.

Regards,

Friday, April 13, 2007

Dil Main Teri Mahobbat Ke….....................


Dil Main Teri Mahobbat Ke Vo Khayalaat Nahin Hain
Ashqo Main Sab Bah Gaye Koi Jazbaat Nahi Hain

Rishto Ki Bheed Mai Khud Se Ajnabee Hun Is Kadar
Dosto Ko Pahchaan Saku Vo Nazar Saath Nahi Hain

Gham Ke Meri Pith Par Khanjar Aisen Hain Chuben
Mud Kar Bhi Aah Bhar Saku Vo Haalaat Nahi Hain

Raaton Ke Karvaton Se Maraasiim Puraane Hain
Tere Khwaabon Ke Anjuman Ki Kaynaat Nahi Hain

Zikra Bhi Ho Tera Kahin To Jhook Jaati Hai Nigaah
Khamoshi Ke Siva Ab Labo Par Koi Baat Nahi Hain

Rona Bhi Agar Chaahu To Ro Bhi Na Paaunga Main
Gham Mai Habib Ashko Ki Ab Vo Barsaat Nahi Hain

****राज़******


टूट गया ज़िन्दगी का साज़ है
टूटने का भी मगर कुछ राज़ है

दोस्तों ने पूछा जब भी कह दिया
कुछ तबीयत आज कल नासाज़ है

लाज़मी मुझ को गज़ल लिखना था यूं
मौलवी को जिस तरह नमाज़ है

देख कर रूकती कलम कहते हैं लोग
जाने इस को हो गया क्या आज है

कोई बतला दे भला इतना
उड़ सके बिन पंख क्यूं परवाज़ है.

*****इंतजार******


इंतजार के सिवा कोई चारा नहीं है अब
दिल के धड़कने का कोई सहारा नहीं है अब

सोचा था के मुहब्बत में सुकून पाएंगे हम
एक लम्हा भी खुशी का हमारा नहीं है अब

आदत पड़ी हुई है तेरे जुल्म-ओ-सितम की
तेरा प्यार भी तो हाए, गवारा नहीं है अब


हुए हैं जंग दुनिया में इक प्यार की खातिर
तेरे सिवा दुनिया में कोई प्यारा नहीं है अब

खाए थे कसमें संग वफा की राह में चलने के
तेरे नशेमन से वैसा कोई इशारा नहीं है अब

तेरी राह में गुजरेंगे बाकी बरस जिंदगी के
तेरी याद के सिवा कोई किनारा नहीं है अब

***** Hairani ********


Thahar Jaon Ki Hairani To Jaye,
Tumarri Shakl Pechani Toh Jaye,

Shab-e-Gum Tuu Hee Mehmaan Ban Ke Aaja,
Humaare Ghar Ki Virrani Toh Jaayen,

Zara Khul Kar Bhi Ro Lene Do Humko,
Ke Dil Ki Aag Tak Paani Ho Jaye,

Bala Se Todh Dalon Aaino ko,
Kissi Surrat Se Hairani Toh Jayee.......................

Ek Nacheez.................

*****तेरे इश्क मे*******


हम तेरे इश्क मे मिट जायेगें सोचा है यही।
गमें दुनियां को भुलाने का तरीका हैं यहीं।।

आप हो रूबरू हमारे तभी रूह तन से निकले।
ऐ मेरे खुदा अब इस दिल की तमन्ना है यही।।

हो गई है चर्चा मेरी मुहब्बत की महफिल में।
जिस ओर से गुज़रू अब चर्चा है बस यही।।

कर दिया है राख अब तो मेरी आहों ने मुझे।
खुदा से इश्क करने का आखिर नतीज़ा है यही।।

मेरे इस बीमार दिल की अब दवा हो सिर्फ तुम।
आपके ही कारण मै जिंदा हूँ वजह भी है यही।।

देख कर मै खुदा को रूबरू चुप ना रह सकी मैं।
जान देकर मिल जाए खुदा सच्चा सौदा है यही।।

Thursday, April 12, 2007

*******दिल के जख़्मों पर ************

हाथ सीने पे रख दो तो करार आ जाये
दिल के उझड़े हुए गुलशन में बहार आ जाये

दिल तो कहता है कि आँखो में छुपा लूँ तुझको
दर यही है कि मुकद्दर को नकार आ जाये

दिल के जख़्मों पर मेरे प्यार का मरहम रख दो
बेकरारी तो मिटे कुछ तो करार आ जाये

यूँ खुदा के लिये छीनो ना मेरे होश- ओ- हवास
ऐसी नज़रों से ना देखो कि खुमार आ जाये

छोड़ के तुम भी चली जाओगी किस्मत की तरह
बाद जाने तो अजल ही को ना प्यार आ जाये

*****'अक्स' *********


नया र्कोई बहाना चाहता हैवो फिर से मुस्कुराना चाहता है।
चुराकर कुछ उजाले जुगनुओं से,वो सूरज को जलाना चाहता है।

उसे है इसलिये तेरी ंजरूरत,वो अपना घर सजाना चाहता है।
घड़ी भर का नहीं है काम लेकिन,शऊर अपना जमाना चाहता है।

ये सपने ख़ार के जैसे हैं जिनको,तू आंखों में सजाना चाहता है।
शिकारी के इरादे भांप कर वो,परिन्दों को उड़ाना चाहता है।

यही उसकी बड़ी ंगलती है यारों!,वो आईना दिखाना चाहता है।
दिलों में जो हमारे है सलामत,जहां उसको मिटाना चाहता है।

जिसे मरने की भी मोहलत नहीं थी,वो कुछ लम्हें चुराना चाहता है।
पुराने हो गये हैं सब मनांजिर,नया दिल इक दिखाना चाहता है।

मुसलसल मुश्किलों में 'अक्स' रखकर,खुदा जीना सिखाना चाहता है।

जिस से नाराज़ हो उस शख्स की हर बात लिखो............


आंख को जाम लिखो ज़ुल्फ़ को बरसात लिखो
जिस से नाराज़ हो उस शख्स की हर बात लिखो

जिस से मिलकर भी न मिलने की कसक बाकी है
उसी अन्जान शनासा की मुलाकात लिखो

जिस्म मस्जिद की तरह, आंखे इन नमाज़ों जैसी
जब गुनाहो में इबादत थी वो दिन -रात लिखो

इस्स कहानी का तो अन्जाम वही है जो था
तुम जो चाहो तो मुहब्बत की शुरुआत लिखो

जब भी देखो उसे अपनी नज़र से देखो
कोई कुछ भी कहे तुम अपने खयालात लिखो

********बात करती हू **************


उजाला मुझसे ही होगा ये मैंने कब कहा,
मैं तो चराग़ जलाने की बात करती हूं।

ये निज़ामे-हिन्द तो मामूली बात है,
मैं बुनियाद हिलाने की बात करती हूं।

मेरी हिम्मत की खुलकर 'दाद' दीजिए,
मैं इंकलाब लाने की बात करती हूं।

जिनके ंजमीर को मरे ंजमाना हुआ,
मैं मुर्दो को जगाने की बात करती हूं।

जब भी दिखाया है आईना जिसको मैने
कहते हैं दिल 'दुखाने' की बात करती हूं।

*****“वक्त”*****


ईश्क इस जमाने में है, मौत की कगार पर ।
लोग थूक के जाते हैं, आशिक की मजार पर ।

विश्वास की कसौटी पर जब अपने ही न खरे उतरे,
कोई कैसे यकीन कर ले दूसरों के प्यार पर ।

जिसको जिताने के लिए हम हारते चले गए,
मेरे आँसू भी अब रो रहे हैं, उस जानेमन की हार पर ।

कभी तो अपना भी वक्त था, पर वक्त वक्त की बात है,
अब साँसे मरी कुर्बान हैं, इस जालिम वक्त की मार पर ।

Wajah…........................


Yeh Meri Zingdi Ki Ek Ehamm Creation Hai..........

Meri Khata Ko Tune Wajah Di
Bina Baat Ke Bhi Mujhko Tune Saza Di,

Shola Tha Dil Main Mere Gum Ka
Usper Tune Aur Aag Laga Di,

Samjh Ke Bhi Tune Etna Na Samjha
Mere Pyaar Ne Bas Tujh Ko Sada Di,

Dil Ke Tukde Tukde Kerke
Zid Se Tune Her Khwahish Mita Di,

Main Ne Manga Tha Saath Bas Tera
Gayero Ke Pass Jaker Meri Tune Qimat Hi Gira Di,

Aansoo Mere Dil Ke Gum Ke
Mange Tujh Ko Aur Tune Mujh Ko Bas Daga Di,

Samjhaye Bhi Tu Kaise Tujh Ko
Tune Tu Her Baat Has Ke Uda Di,

Dil Main Hi Reh Gaye Din Wo Pyaar Ke
Her Baat Tere Mere Dil Ki Tune Aye Sangdil Bhula Di,

Meri Khta Ko Tune Waja Di
Bina Baat Ke Bhi Mujhko Tune Saza Di,

Kitna Sitam Tu Laakh Aur Kerle
Dil Ne Mere Bas Tujhko Duwa Di,

*******सकून*********


आता नही दिल को मेरे सकून बिन दिलदार के,
पता नही कैसे तेरा, मेरे बिना रहने का दिल किया.

कोशिश तो बहुत की तुझे भुला दे इस दिल से,
मगर हर लम्हा बार बार तुझे ही हमने याद किया.

रोकना चाहा उन कदमो को, जो तेरी राह मे बधाये हमने,
फिर भी मेरी रहो ने तेरी मन्ज़िल का ही पता दिया.

वफ़ा तो तेरी फ़ितरत मे ही नही थी, हमसे हो गयी भूल,
पता नही - तुने हमे क्यु बेवफ़ा करार दिया "???"

Regards,

***** कसम-ए-वफ़ा*******


फूल जो भी चुने एक दो रोज़ में खिल के मुरझा पराये वो सब हो चले
चार कांटे जो दामन से लिपटे मेरे संग मेरे वो सारे सफ़र को चले

जो जफ़ाएं हुईं जो खताएं हुईं जो सितम हम ने तुम पे किये प्यार में
मेरे महबूब करना मुझे माफ़ तुम याद कर के उन्हें आज हम रो चले

किस का कीजे यकीं हैं यहां गैर सब मतलबी खुदगरज़ है ये सारा जहां
दो कदम साथ चल के जुदा हो गये खा कसम-ए-वफ़ा संग थे जो चले

दी मदद जिस को एहसां भी जिस पे किया हम पे इलज़ाम उस ने लगाये बहुत
नेकियां उम्र भर हम तो करते रहे तोहमत-ए-बदी हम मगर ढो चले

दिल को नीलाम कर इश्क पाया मगर हम हिफ़ाज़त न उस की कर सके
प्यार की सिर्फ़ यादें बचा के रखीं बाकी दुनिया की दौलत को हम खो चले.

Regards,

*****राह-ए-इश्क******


हरकत तो कर रहे हैं अब क्या उन के लब कहें
मालिक हैं अपने दिल के वो जो चाहे जब कहें

जज़्बात बरसाते हैं वो यूं बात बात में
कोई खबर नहीं कि वो क्या जाने कब कहें

शायद कभी कह पाएं उन से अपने दिल की बात
उन के मिज़ाज़ में दिखे नरमी तो तब कहें

कहने को कुछ उन से बहुत अरसे से हैं बेताब
पर बात है ऐसी कि जब हो जाए शब कहें

ऐसे भी आए वक्त राह-ए-इश्क में
गुज़री है सारी रात कि वो कुछ तो अब कहें.

Regards,

****ऐसा भी हो सकता है*****


करके मोहब्बत अपनी खता हो.. ऐसा भी हो सकता है..
वोह अब भी पाबंद-ए-वफ़ा हो.. ऐसा भी हो सकता है..

दरवाजे पर आहट सुनके उसकी तरफ़ ध्यान क्यूं गया..
आने वाली सिर्फ़ हवा हो.. ऐसा भी हो सकता है..
वोह अब भी पाबंद-ए-वफ़ा हो.. ऐसा भी हो सकता है..

अर्ज़-ए-तलब पे उसकी चुप से ज़ाहिर है इंकार मगर..
शायद वो कुछ सोच रहा हो.. ऐसा भी हो सकता है..
वोह अब भी पाबंद-ए-वफ़ा हो.. ऐसा भी हो सकता है..

खून-ए-तमन्ना करना उसका शेवा है मंज़ूर मगर..
हांथ मे उसके रंग-ए-हिना हो.. ऐसा भी हो सकता है..
वोह अब भी पाबंद-ए-वफ़ा हो.. ऐसा भी हो सकता है..

करके मोहब्बत अपनी खता हो.. ऐसा भी हो सकता है..
वोह अब भी पाबंद-ए-वफ़ा हो.. ऐसा भी हो सकता है..

Regards,

******धोखा********




धोखा अकसर हो जाता है, कभी नादानी में तो कभी अंजाने में... जो भी हो धोखा तो धोखा है

पेहली नज़र में दिल का खोना
जा़लिम ये किस कदर का धोखा

बातें ही मुसलसल हुईं थीं
फिर खत्‍म हुआ सब्र दिल का

जा़लिम ने चल दिया अपनी चाल
रेह गया दिल अब स्रिफ रफि़क का

रफ्‍ता-रफ्‍ता दिल करने लगा इक़रार
अब तो जैसे रकि़ब हुआ है मेरा हाल

उस से इज़हार-ए-मुहब्‍बत में
रक्‍स-ए-ता-उस दिल हुआ जाता

रग-ए-जान में मेरे जैसे तुम बसे हो
रघ़बत सी अनंजुमन में कोई बस जाता
रफि़क = friend
रकि़ब = enemy
रक्‍स-ए-ता उस = dance of the peacock
रक्‍स-ए-जान = in my viens of my life
रघ़बत= strong desire, pleasure.

Regards,

*******सताने के सलीके*********


कभी उनकी याद आती है कभी उनके ख्व़ाब आते हैं
मुझे सताने के सलीके तो उन्हें बेहिसाब आते हैं ।

कयामत देखनी हो गर चले जाना उस महफिल में
सुना है उस महफिल में वो बेनकाब आते हैं ।

कई सदियों में आती है कोई सूरत हसीं इतनी
हुस्न पर हर रोज कहां ऐसे श़बाब आते हैं ।

रौशनी के वास्ते तो उनका नूर ही काफी है
उनके दीदार को आफ़ताब और माहताब आते हैं।