आंख को जाम लिखो ज़ुल्फ़ को बरसात लिखो
जिस से नाराज़ हो उस शख्स की हर बात लिखो
जिस से मिलकर भी न मिलने की कसक बाकी है
उसी अन्जान शनासा की मुलाकात लिखो
जिस्म मस्जिद की तरह, आंखे इन नमाज़ों जैसी
जब गुनाहो में इबादत थी वो दिन -रात लिखो
इस्स कहानी का तो अन्जाम वही है जो था
तुम जो चाहो तो मुहब्बत की शुरुआत लिखो
जब भी देखो उसे अपनी नज़र से देखो
कोई कुछ भी कहे तुम अपने खयालात लिखो
जिस से नाराज़ हो उस शख्स की हर बात लिखो
जिस से मिलकर भी न मिलने की कसक बाकी है
उसी अन्जान शनासा की मुलाकात लिखो
जिस्म मस्जिद की तरह, आंखे इन नमाज़ों जैसी
जब गुनाहो में इबादत थी वो दिन -रात लिखो
इस्स कहानी का तो अन्जाम वही है जो था
तुम जो चाहो तो मुहब्बत की शुरुआत लिखो
जब भी देखो उसे अपनी नज़र से देखो
कोई कुछ भी कहे तुम अपने खयालात लिखो
4 comments:
bahut khub priyanka ji.lajawab..........
Shukkriya
Ashish Ji............
सीने से निकल के दम गया था ,मुद्दतों हुए
कानों में जो आवाज़ उनकी पडी दम फिर निकल गया
कुछ तो रहा होगा भुलाये रिश्तों में
दम भी निकल रहा है आज किश्तों में ।
गुज़'रे हुए लम्हों का, ज़ख्म है दिल पर
गुज़'रे हुए लम्हों का, ज़ख्म है दिल पर
बिछ्डी हुइ यादॊं का, असर है हम पर
किसी की याद में रोना, मुस्तक'बिल है अप'नी
घुट घुट कर जीना भी, तक'दीर है अप'नी
ये बद्नसीबी है मेहर'बान हम पर
गुज़'रे हुए लम्हों का, ज़ख्म है दिल पर
रातों को जग'ना फ़ित'रत है अप'नी
दर्द-ए-दिल को सीना भी किस्मत है अप'नी
बेवफ़ा होने का इल्ज़ाम है हम पर
गुज़'रे हुए लम्हों का ज़ख्म है दिल पर
Bahut sundar priyankaji.....bhasha ki pakad, shabdo ka chayan, vishay ki gahraai... sari rachnaye apne aap me poori kahaniya hain...ye dil ki aawaz sirf shoukeen hone se nahi aa sakti...iske liye ek bhahut hi nazuk dil chahiye jo ki na kewal apni balki aaspas ke logo ki bhavnao ko bhi baareeki se samjhe...jo ki aapke pas hai, jo aapki rachnao se saaf zaahir hota hai..
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