Thursday, April 12, 2007

*****राह-ए-इश्क******


हरकत तो कर रहे हैं अब क्या उन के लब कहें
मालिक हैं अपने दिल के वो जो चाहे जब कहें

जज़्बात बरसाते हैं वो यूं बात बात में
कोई खबर नहीं कि वो क्या जाने कब कहें

शायद कभी कह पाएं उन से अपने दिल की बात
उन के मिज़ाज़ में दिखे नरमी तो तब कहें

कहने को कुछ उन से बहुत अरसे से हैं बेताब
पर बात है ऐसी कि जब हो जाए शब कहें

ऐसे भी आए वक्त राह-ए-इश्क में
गुज़री है सारी रात कि वो कुछ तो अब कहें.

Regards,

2 comments:

Anonymous said...

are wah priyanka ji aapko kar jajbat ki jankari hai aur use shabdon mein bhi bakhoobi dhalna aata hai.maan gye

Raj said...

तुम फिर आओ कि तमन्ना फिर से मचल जाये
तुम मुस्कुराओ तो हम फिर से मुस्कुराये
तुम लवों को फिर हिलाओ कि मेरे गीतों को उम्र मिल जाये
रोक सको तो रोक लो यादों को कहीं फिर से रुला न जाये
तमाम उम्र हम भटक'ते रहे प्यार के खातिर
तुम एक कदम मेरी तरफ़ बढाओ कि मज़िंल मिल जाये
तुम'से दुर होकर आज ये जाना कि कित'ने बेबस हैं हम
तुम फिर से हुमें अप'ना कहो तो जीवन तेरे नाम कर जाये
कुछ सासें बाकि हैं कि कुछ आर्ज़ू बाकि हैं अभी
तुम गले लगाओ फिर से कि हम सब कुछ भूल जाये
अभी और वक्त बाकि है, कुछ चाल बाकि है किस्मत के
कि तुम कोई चाल नयी चलो कि फिर से हम तुम एक हो जाये