टूट गया ज़िन्दगी का साज़ है
टूटने का भी मगर कुछ राज़ है
दोस्तों ने पूछा जब भी कह दिया
कुछ तबीयत आज कल नासाज़ है
लाज़मी मुझ को गज़ल लिखना था यूं
मौलवी को जिस तरह नमाज़ है
देख कर रूकती कलम कहते हैं लोग
जाने इस को हो गया क्या आज है
कोई बतला दे भला इतना
उड़ सके बिन पंख क्यूं परवाज़ है.
टूटने का भी मगर कुछ राज़ है
दोस्तों ने पूछा जब भी कह दिया
कुछ तबीयत आज कल नासाज़ है
लाज़मी मुझ को गज़ल लिखना था यूं
मौलवी को जिस तरह नमाज़ है
देख कर रूकती कलम कहते हैं लोग
जाने इस को हो गया क्या आज है
कोई बतला दे भला इतना
उड़ सके बिन पंख क्यूं परवाज़ है.
3 comments:
priyanka again excellent.these lines suit on you.am i right?
Jee
Ashish Ji,
Bilkul Sahi Keh Rahen Hai Aap .......
खामोशियों में घिरी है दास्तां-ए-जिंदगी।
कोई तो जिंदगी में बहारे लुटाने वाला हो।।
ameen khuda kare aisa hi ho
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