नया र्कोई बहाना चाहता हैवो फिर से मुस्कुराना चाहता है।
चुराकर कुछ उजाले जुगनुओं से,वो सूरज को जलाना चाहता है।
उसे है इसलिये तेरी ंजरूरत,वो अपना घर सजाना चाहता है।
घड़ी भर का नहीं है काम लेकिन,शऊर अपना जमाना चाहता है।
ये सपने ख़ार के जैसे हैं जिनको,तू आंखों में सजाना चाहता है।
शिकारी के इरादे भांप कर वो,परिन्दों को उड़ाना चाहता है।
यही उसकी बड़ी ंगलती है यारों!,वो आईना दिखाना चाहता है।
दिलों में जो हमारे है सलामत,जहां उसको मिटाना चाहता है।
जिसे मरने की भी मोहलत नहीं थी,वो कुछ लम्हें चुराना चाहता है।
पुराने हो गये हैं सब मनांजिर,नया दिल इक दिखाना चाहता है।
मुसलसल मुश्किलों में 'अक्स' रखकर,खुदा जीना सिखाना चाहता है।
चुराकर कुछ उजाले जुगनुओं से,वो सूरज को जलाना चाहता है।
उसे है इसलिये तेरी ंजरूरत,वो अपना घर सजाना चाहता है।
घड़ी भर का नहीं है काम लेकिन,शऊर अपना जमाना चाहता है।
ये सपने ख़ार के जैसे हैं जिनको,तू आंखों में सजाना चाहता है।
शिकारी के इरादे भांप कर वो,परिन्दों को उड़ाना चाहता है।
यही उसकी बड़ी ंगलती है यारों!,वो आईना दिखाना चाहता है।
दिलों में जो हमारे है सलामत,जहां उसको मिटाना चाहता है।
जिसे मरने की भी मोहलत नहीं थी,वो कुछ लम्हें चुराना चाहता है।
पुराने हो गये हैं सब मनांजिर,नया दिल इक दिखाना चाहता है।
मुसलसल मुश्किलों में 'अक्स' रखकर,खुदा जीना सिखाना चाहता है।
5 comments:
excellent priyanka ji.keep it up...
Shukkriya...........
Ashish Ji...............
आशिक़ बग़ैर हुस्न-ओ-जवानी फ़िज़ूल है
जब शम्मा जल रही है तो, परवाना चाहिए
आँखों में दम रुका है किसी के लिए ज़ुरूर
वरना मरीज़-ए-हिज्र को मर जाना चाहिए
aap ki to ada hi juda hai.aap har baat ko shayari mein keh jati hain.kash mere passbhi ye kabiliyat hoti
कई लोग जल रहे है मेरी शोहरत से आज...
कर लू मै अपने आप को बदनाम जरा रुक...
nahi priyanka ji.ye sarasar ilzam hai mujh par.main aapse kyon jalunga.aapne lagta hai isi vazah se orkut chod diya
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