करके मोहब्बत अपनी खता हो.. ऐसा भी हो सकता है..
वोह अब भी पाबंद-ए-वफ़ा हो.. ऐसा भी हो सकता है..
दरवाजे पर आहट सुनके उसकी तरफ़ ध्यान क्यूं गया..
आने वाली सिर्फ़ हवा हो.. ऐसा भी हो सकता है..
वोह अब भी पाबंद-ए-वफ़ा हो.. ऐसा भी हो सकता है..
अर्ज़-ए-तलब पे उसकी चुप से ज़ाहिर है इंकार मगर..
शायद वो कुछ सोच रहा हो.. ऐसा भी हो सकता है..
वोह अब भी पाबंद-ए-वफ़ा हो.. ऐसा भी हो सकता है..
खून-ए-तमन्ना करना उसका शेवा है मंज़ूर मगर..
हांथ मे उसके रंग-ए-हिना हो.. ऐसा भी हो सकता है..
वोह अब भी पाबंद-ए-वफ़ा हो.. ऐसा भी हो सकता है..
करके मोहब्बत अपनी खता हो.. ऐसा भी हो सकता है..
वोह अब भी पाबंद-ए-वफ़ा हो.. ऐसा भी हो सकता है..
Regards,
वोह अब भी पाबंद-ए-वफ़ा हो.. ऐसा भी हो सकता है..
दरवाजे पर आहट सुनके उसकी तरफ़ ध्यान क्यूं गया..
आने वाली सिर्फ़ हवा हो.. ऐसा भी हो सकता है..
वोह अब भी पाबंद-ए-वफ़ा हो.. ऐसा भी हो सकता है..
अर्ज़-ए-तलब पे उसकी चुप से ज़ाहिर है इंकार मगर..
शायद वो कुछ सोच रहा हो.. ऐसा भी हो सकता है..
वोह अब भी पाबंद-ए-वफ़ा हो.. ऐसा भी हो सकता है..
खून-ए-तमन्ना करना उसका शेवा है मंज़ूर मगर..
हांथ मे उसके रंग-ए-हिना हो.. ऐसा भी हो सकता है..
वोह अब भी पाबंद-ए-वफ़ा हो.. ऐसा भी हो सकता है..
करके मोहब्बत अपनी खता हो.. ऐसा भी हो सकता है..
वोह अब भी पाबंद-ए-वफ़ा हो.. ऐसा भी हो सकता है..
Regards,
4 comments:
प्रियंका जी,
बहुत अच्छा किया कि आपने ब्लॉग बना लिया। आपकी ग़ज़लें हालाँकि ऑरकुट वाले तो खूब पढ़ रहे थे। अब ब्लॉगर भी पढ़ेंगे।
आप अपना ब्लॉग नारद, हिन्दी-ब्लॉग्स आदि एग्रीगेटर पर पंजीकृत करें। वैसे मैंने इसका लिंक हिन्द-युग्म से जोड़ दिया है।
VERY GOOD. YOU ARE REALLY VERY TALENTED
Shukkriya
Shailesh Ji
Aapne Iss Nacheez Ko Iss Qaabil Samjha
simply great
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