फूल जो भी चुने एक दो रोज़ में खिल के मुरझा पराये वो सब हो चले
चार कांटे जो दामन से लिपटे मेरे संग मेरे वो सारे सफ़र को चले
जो जफ़ाएं हुईं जो खताएं हुईं जो सितम हम ने तुम पे किये प्यार में
मेरे महबूब करना मुझे माफ़ तुम याद कर के उन्हें आज हम रो चले
किस का कीजे यकीं हैं यहां गैर सब मतलबी खुदगरज़ है ये सारा जहां
दो कदम साथ चल के जुदा हो गये खा कसम-ए-वफ़ा संग थे जो चले
दी मदद जिस को एहसां भी जिस पे किया हम पे इलज़ाम उस ने लगाये बहुत
नेकियां उम्र भर हम तो करते रहे तोहमत-ए-बदी हम मगर ढो चले
दिल को नीलाम कर इश्क पाया मगर हम हिफ़ाज़त न उस की कर सके
प्यार की सिर्फ़ यादें बचा के रखीं बाकी दुनिया की दौलत को हम खो चले.
Regards,
चार कांटे जो दामन से लिपटे मेरे संग मेरे वो सारे सफ़र को चले
जो जफ़ाएं हुईं जो खताएं हुईं जो सितम हम ने तुम पे किये प्यार में
मेरे महबूब करना मुझे माफ़ तुम याद कर के उन्हें आज हम रो चले
किस का कीजे यकीं हैं यहां गैर सब मतलबी खुदगरज़ है ये सारा जहां
दो कदम साथ चल के जुदा हो गये खा कसम-ए-वफ़ा संग थे जो चले
दी मदद जिस को एहसां भी जिस पे किया हम पे इलज़ाम उस ने लगाये बहुत
नेकियां उम्र भर हम तो करते रहे तोहमत-ए-बदी हम मगर ढो चले
दिल को नीलाम कर इश्क पाया मगर हम हिफ़ाज़त न उस की कर सके
प्यार की सिर्फ़ यादें बचा के रखीं बाकी दुनिया की दौलत को हम खो चले.
Regards,
2 comments:
gazab ki pratibha hai aapke andar.kabhi-2 to kafz hi kam pad jate hain.
gazab ki pratibha hai aapke andar.kabhi-2 to kafz hi kam pad jate hain.
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