आंख से आंख मिला बात बनाता क्यों है,
तू अगर मुझसे खफा है तो छुपाता क्यो है,
गैर लगता है ना अपनो की तरह मिलता है,
तू ज़माने की तरह मुझको सताता क्यो है,
वक़्त के साथ हालात बदल जाते है,
ये हक़ीकत है मगर मुझको सुनाता क्यो है,
एक मुद्दत से जहा काफिले गुज़रे ही नही,
ऐसी राहो पे चिरागो को जलाता क्यो है..................................
Apne Daman Ko Zara Baccha Ke Rakhiyega, Sard Aahon Se Bhi Hum AAG Laga Deten Hai........ हमसे पूछो मोहब्बत किस पाक अहसास का नाम है, जो छलके और छलकाए दीवानों को, ये वो बेमिसाल जाम है । सुबह के वक्त की लाली है ये, और कभी न ढलने वाली हसीन शाम है
Monday, January 28, 2008
******पलकों के दरमियान******
वो सितारा जो आसमान मे है,
मेरी पलकों के दरमियान मे है,
किस तरह हुए दिल के टुकडे,
तीर तो अब तक गुमान मे है,
कोई सुरत नही बहलाने की,
हर घडी वो जो मेरे ध्यान मे है,
वो कहाँ क़िस्सा-ए-मोहब्बत मे है,
जो मज़ा अपनी दास्तान मे है,
इसने जब से नस्ब-ए-दिल बदला,
ज़िन्दगी अपनी इम्तेहान मे है,
दिल मे यूं तो कोई नही,
एक साया पर मकाम मे है............................
मेरी पलकों के दरमियान मे है,
किस तरह हुए दिल के टुकडे,
तीर तो अब तक गुमान मे है,
कोई सुरत नही बहलाने की,
हर घडी वो जो मेरे ध्यान मे है,
वो कहाँ क़िस्सा-ए-मोहब्बत मे है,
जो मज़ा अपनी दास्तान मे है,
इसने जब से नस्ब-ए-दिल बदला,
ज़िन्दगी अपनी इम्तेहान मे है,
दिल मे यूं तो कोई नही,
एक साया पर मकाम मे है............................
*****वफा की आस******
Ek Dard Bhara Sawaaal...............
मुझे ज़िन्दगी की तलब नही,
मुझे ज़िन्दगी से गिला नही,
जिसे पाकर खो दिया,
वो नसीब था मिला नही,
जिसे चाहा वो बदल गया,
जिसे मांग़ा वो बिछड गया,
मै अब जी कर क्या करू,
जब ज़िन्दगी मे सिला नही,
जिस वफा की आस मे जल गया,
वो खुशी का दीप जला नही..............?????
Jisska Hai Ek Sukenena-q-rar Jawab.................
मिला वो भी नही करते,
मिला हम भी नही करते,
वफा वो भी नही करते,
जफा हम भी नही करते,
उन्हे रुसवाई का दुख है,
हमे तन्हाई का गम है,
गिला वो भी नही करते,
शिक्वा हम भी नही करते,
किसी मोड पर टकराव हो जाता है अक्सर,
रुका वो भी नही करते रुका हम भी नही करते.........................
मुझे ज़िन्दगी की तलब नही,
मुझे ज़िन्दगी से गिला नही,
जिसे पाकर खो दिया,
वो नसीब था मिला नही,
जिसे चाहा वो बदल गया,
जिसे मांग़ा वो बिछड गया,
मै अब जी कर क्या करू,
जब ज़िन्दगी मे सिला नही,
जिस वफा की आस मे जल गया,
वो खुशी का दीप जला नही..............?????
Jisska Hai Ek Sukenena-q-rar Jawab.................
मिला वो भी नही करते,
मिला हम भी नही करते,
वफा वो भी नही करते,
जफा हम भी नही करते,
उन्हे रुसवाई का दुख है,
हमे तन्हाई का गम है,
गिला वो भी नही करते,
शिक्वा हम भी नही करते,
किसी मोड पर टकराव हो जाता है अक्सर,
रुका वो भी नही करते रुका हम भी नही करते.........................
Thursday, January 24, 2008
******रफाकत*******
दोस्त क्या खूब वफाओ का सिला देते है,
हर नये मोड पे एक दर्द नया देते है,
तुम से खैर घडी भर का ताल्लुक रहा,
लोग सदियो की रफाकत भुला देते है,
कैसे मुम्किन है धुआँ भी ना हो और दिल भी जले,
चोट पडती है तो पत्थर भी सदा देते है,
कौन होता है मुसीबत मे किसी का ए दोस्त,
आग लगती है तो पत्ते भी हवा ही देते है,
जिन पे होता है दिल को भरोसा,
वक़्त पडने पे वही लोग धोखा भी देते है..........................................
हर नये मोड पे एक दर्द नया देते है,
तुम से खैर घडी भर का ताल्लुक रहा,
लोग सदियो की रफाकत भुला देते है,
कैसे मुम्किन है धुआँ भी ना हो और दिल भी जले,
चोट पडती है तो पत्थर भी सदा देते है,
कौन होता है मुसीबत मे किसी का ए दोस्त,
आग लगती है तो पत्ते भी हवा ही देते है,
जिन पे होता है दिल को भरोसा,
वक़्त पडने पे वही लोग धोखा भी देते है..........................................
******कशिश*******
मोहब्बत ना समझ होती है, समझना ज़रूरी है,
जो दिल मे है उसे आंखो से कहलवाना ज़रूरी है,
उसूलो पर जो आँच आये तो टकराना ज़रूरी है,
जो ज़िन्दा है तो फिर ज़िन्दा नज़र आना भी ज़रूरी है,
मोहब्बत मे कशिश रखने को शर्माना ज़रूरी है,
बहुत बेबाक आंखो मे तालुक़ टिक नही सकता
मोहब्बत मे कशिश रखने को शरमाना ज़रूरी है,
सलीक़ा ही नही शायद उसे महसूस करने का,
जो कहते है गर खुदा है तो नज़र आना भी ज़रूरी है..........................
जो दिल मे है उसे आंखो से कहलवाना ज़रूरी है,
उसूलो पर जो आँच आये तो टकराना ज़रूरी है,
जो ज़िन्दा है तो फिर ज़िन्दा नज़र आना भी ज़रूरी है,
मोहब्बत मे कशिश रखने को शर्माना ज़रूरी है,
बहुत बेबाक आंखो मे तालुक़ टिक नही सकता
मोहब्बत मे कशिश रखने को शरमाना ज़रूरी है,
सलीक़ा ही नही शायद उसे महसूस करने का,
जो कहते है गर खुदा है तो नज़र आना भी ज़रूरी है..........................
Tuesday, January 22, 2008
******मुक़द्दर******
शाम से ही बुझा सा रहता है,
दिल है गोया चिराग मुफ्लिस का,
शब भर था इन्तेज़ार के फूटेगी रोशनी,
जागे तो रोशनी को अंधेरे निगल गये,
दिन तो कट जाता है हंगामो मे,
रात आती है तो बस आके ठहर जाती है,
नींद तो खैर इन आंखो के मुक़द्दर मे नही,
मौत भी क्या जाने कहाँ जा के मर जाती है..................................
दिल है गोया चिराग मुफ्लिस का,
शब भर था इन्तेज़ार के फूटेगी रोशनी,
जागे तो रोशनी को अंधेरे निगल गये,
दिन तो कट जाता है हंगामो मे,
रात आती है तो बस आके ठहर जाती है,
नींद तो खैर इन आंखो के मुक़द्दर मे नही,
मौत भी क्या जाने कहाँ जा के मर जाती है..................................
****अक़ीदत******
ये ना समझो के बिछडी हूँ तो भूल गयी हूँ,
तेरी दोस्ती की खुशबू मेरे हाथो मे आज भी है,
मोहब्बत से बढ कर मुझे अक़ीदत है दोस्त तुमसे,
यूं मुक़ाम तेरा बुलंद सब दोस्तो मे आज भी है,
तू वो है जो बरसो की तलाश का सामान है,
तुम्हे सोचना मेरी यादो मे आज भी है,
ये और बात है के मजबूरियो ने निभाने ना दी दोस्ती,
वरना शामिल सच्चाई मेरी वफाओ मे आज भी है,
मेरा हर शेर मेरी चाहतो की गवाही देगा,
चाहतो की खुशबू इन लफ्ज़ो मे आज भी है,
हर लम्हा ज़िन्दगी मे मोहब्बत नसीब हो तुझे,
शामिल तू मेरे दुआओ मे आज भी है.......................
तेरी दोस्ती की खुशबू मेरे हाथो मे आज भी है,
मोहब्बत से बढ कर मुझे अक़ीदत है दोस्त तुमसे,
यूं मुक़ाम तेरा बुलंद सब दोस्तो मे आज भी है,
तू वो है जो बरसो की तलाश का सामान है,
तुम्हे सोचना मेरी यादो मे आज भी है,
ये और बात है के मजबूरियो ने निभाने ना दी दोस्ती,
वरना शामिल सच्चाई मेरी वफाओ मे आज भी है,
मेरा हर शेर मेरी चाहतो की गवाही देगा,
चाहतो की खुशबू इन लफ्ज़ो मे आज भी है,
हर लम्हा ज़िन्दगी मे मोहब्बत नसीब हो तुझे,
शामिल तू मेरे दुआओ मे आज भी है.......................
******कुल्फत-ए-इन्सान*******
बिमारी-ए-हस्ती की दवा क्यो नही आती,
जी भर गया दुनियाँ से क़ज़ा क्यो नही आती,
हर कुल्फत-ए-इन्सान को जो जड ही से मिटा दे,
आलम मे कोई ऐसी वबा क्यो नही आती,
गुलशन की निघाबानी का झगडा ही निपट जाये,
होंठो पे तबाही की दुआ क्यो नही आती,
हर एक पे कर लेते है बेफिक्र भरोसा,
हम जैसो को जीने की अदा क्यो नही आती,
इक रोज़ के फक़ा से खुला राज़ की आखिर,
किस्मत की तिजातत मे हाया क्यो नही आती,
कहते है की हर चीज़ मे तू जलवा नुमा है,
फिर मुझ को नज़र तेरी ज़िया क्यो नही आती,
खून रेज़ी-ओ-बर्बादी पे काम है उनके,
सीनो से नेलामत की सदा क्यो नही आती,
मज़लुम पे टूटे है मुसीबत पे मुसीबत,
सर-ए-ज़ालिम पे बाला क्यो नही आती.......................................
जी भर गया दुनियाँ से क़ज़ा क्यो नही आती,
हर कुल्फत-ए-इन्सान को जो जड ही से मिटा दे,
आलम मे कोई ऐसी वबा क्यो नही आती,
गुलशन की निघाबानी का झगडा ही निपट जाये,
होंठो पे तबाही की दुआ क्यो नही आती,
हर एक पे कर लेते है बेफिक्र भरोसा,
हम जैसो को जीने की अदा क्यो नही आती,
इक रोज़ के फक़ा से खुला राज़ की आखिर,
किस्मत की तिजातत मे हाया क्यो नही आती,
कहते है की हर चीज़ मे तू जलवा नुमा है,
फिर मुझ को नज़र तेरी ज़िया क्यो नही आती,
खून रेज़ी-ओ-बर्बादी पे काम है उनके,
सीनो से नेलामत की सदा क्यो नही आती,
मज़लुम पे टूटे है मुसीबत पे मुसीबत,
सर-ए-ज़ालिम पे बाला क्यो नही आती.......................................
*****कोई बात नही******
यही वफा का सिलाह है, तो कोई बात नही,
ये दर्द तुम ने दिया है, तो कोई बात नही,
यही बहुत है के तुम देखते हो साहिल से,
सफीना डूब रहा है, तो कोई बात नही,
रखा था अशियाना-ए-दिल मे छुपा के तुमको,
वो घर तुमने छोड दिया है तो कोई बात नही,
तुम ही ने आईना-ए-दिल मेरा बनाया था,
तुम ही ने तोड दिया है तो कोई बात नही,
किसे मजाल कहे कोई मुझ को दीवाना,
अगर ये तुमने कहा है तो कोई बात नही..............................
ये दर्द तुम ने दिया है, तो कोई बात नही,
यही बहुत है के तुम देखते हो साहिल से,
सफीना डूब रहा है, तो कोई बात नही,
रखा था अशियाना-ए-दिल मे छुपा के तुमको,
वो घर तुमने छोड दिया है तो कोई बात नही,
तुम ही ने आईना-ए-दिल मेरा बनाया था,
तुम ही ने तोड दिया है तो कोई बात नही,
किसे मजाल कहे कोई मुझ को दीवाना,
अगर ये तुमने कहा है तो कोई बात नही..............................
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