वो सितारा जो आसमान मे है,
मेरी पलकों के दरमियान मे है,
किस तरह हुए दिल के टुकडे,
तीर तो अब तक गुमान मे है,
कोई सुरत नही बहलाने की,
हर घडी वो जो मेरे ध्यान मे है,
वो कहाँ क़िस्सा-ए-मोहब्बत मे है,
जो मज़ा अपनी दास्तान मे है,
इसने जब से नस्ब-ए-दिल बदला,
ज़िन्दगी अपनी इम्तेहान मे है,
दिल मे यूं तो कोई नही,
एक साया पर मकाम मे है............................
2 comments:
what's the theme in it?i can't understand...
सुश्री प्रियंका जी
वाह-वाह क्या बात है "आंखों के दरमियान की"
"वो सितारा जो आसमान मे है
मेरी पलकों के दरमियान मे है"
हम भी कोशिश करते है बात अपनी कहने की..
"दिल गम का मारा"
वो साहिल वो गीली मिट्टी, मिट्टी के घरोंदे साहिल पर,
वो नाम दरखतों पर लिखना वो ख्वाब सुहाना आज भी है।
तुम खुश रहना दिल की दुनियां अपनी तो चलो बर्बाद हुई,
दिल गम का मारा कल भी था और गम का मारा आज भी है।
यह अश्क नहीं हैं आंखों में यह तारे झिलमिल करते हैं।
इन आंखों में जो कल था वो चांदसा चेहरा आज भी है,
"प्रियराज"
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