आंख से आंख मिला बात बनाता क्यों है,
तू अगर मुझसे खफा है तो छुपाता क्यो है,
गैर लगता है ना अपनो की तरह मिलता है,
तू ज़माने की तरह मुझको सताता क्यो है,
वक़्त के साथ हालात बदल जाते है,
ये हक़ीकत है मगर मुझको सुनाता क्यो है,
एक मुद्दत से जहा काफिले गुज़रे ही नही,
ऐसी राहो पे चिरागो को जलाता क्यो है..................................
4 comments:
Aankh se Ankh milaonga to jal jaoge.
Khafa agar hua to humko na paoge.
Gair nahin main ye teri nazaron ka khot hai..
Ishq main to sara jamana apna lagta hai.
Vaqt ke saath halat hi nahi jajbaat bhi badalate hain
Tum na badalo ye ummeed bana raha hoon
Isliye hi vaqt ka kissa suna raha hoon
Is raah par kaafile aaye na aaye
main apne sanam ko bula raha hoon
ummedon ke chirag jala raha hoon
excellent job done by both you priyanka ji and krishna arjun ji!
सुश्री प्रियंका जी
बहुत रोचक तरीके से प्रस्तुत की है आपने ये
"आंख से आंख"
जो दिल के भीतर हल-चल....मचाने लगी है।
ना हम कोई गिला रखेंगे
इस जमाने से ना हम कोई गिला रखेंगे,
दिल लगायेंगे तो ना शर्त-ए-वफ़ा रखेंगे।
ना दिखायेंगे कभी दिल पे लागे जखम उन्हें,
दर्द उठेगा अगर तो दिल को दबा रखेंगे।
जान दे देंगे अगर एक इशारा कर दोगे,
हम उसे अपने लिये भी ना बचा के रखेंगे।
सब हटा देंगे तेरी राह की रुकावट साथी,
घर के दरवाज़े को हर वक्त खुला रखेंगे।
"प्रियराज"
Dear All,
Yeh Nacheez Tahen Dil Se Aap Logon Ka Shukkriya Ada Karti hai...........
बनके अपना हमको भुलाने वाले हो तुम,
दिखाके रोशनी हमको जलाने वाले हो तुम,
अभी तक हम पुराने जख्मो से उभरे नही,
आज फिर से कोई नया दर्द उठाने वाले हो तुम,
इतनी रातें हमे आंखो मे गुजरी है,
क्या आज रात मेरे ख्वाबो मे आने वाले हो तुम.
Regards,
PRIYANKA
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