Thursday, January 31, 2013

लोग कहते है रात को 'ओस' गिरती है, पर मैंने तो फूलों को अकेले में 'रोते' देखा है...

Wednesday, January 30, 2013

****तमाशा****

मेरी जिंदगी को एक तमाशा बना दिया उसने,
भरी महफिल में तन्हा बिठा दिया उसने.

ऐसी क्या थी नफरत उसको मेरे मासूम दिल से,
खुशियाँ चुरा कर गम थमा दिया उसने.

बहुत नाज़ था उस की वफ़ा पे कभी हम को,
मुझ को हे मेरी नज़रों में गिरा दिया उसने.

किसी को याद करना तो उनकी फितरत में नहीं,
हवा का झोंका समझ कर भुला दिया उसने.

***गम***

खंजर के वार तो मै, हाथों से रोक दूं !
शब्दों का तीर मेरे, दिल में उतर गया............



ये कैसी मोहब्बत कहाँ के फ़साने,
ये पीने पिलाने के सब है बहाने,

चलो तुम भी ‘गुमनाम’ अब मैकदे में,
तुम्हे दफन करने हैं कई गम पुराने,..........

दवा .........

हमारे ज़ख्मों की वजह भी वो हैं,
हमारे ज़खमों की दवा भी वो हैं,
वो नमक ज़खम पे लगाऐं भी तो क्या हुआ..
महोब्बत करने की वजह भी तो वो हैं.......................

देख के हमको वो सर झुकाते हैं,
बुला कर महफ़िल में नजरें चुराते हैं,...............
नफरत हैं तो कह देते हमसे,
गैरों से मिलकर क्यों दिल जलाते हैं..........................

मुझे नींद की इजाज़त भी उसकी यादों से लेनी पड़ती है;
जो खुद तो सो जाता है, मुझे करवटों में छोड़ कर......

Monday, January 28, 2013

 तू किसी तरह से हयात के नए सिलसिले तो बढ़ा ज़रा
किसी रंग में किसी रूप में मुझे ज़िन्दगी से मिला ज़रा ...

 मेरी तिश्नगी तेरी मुन्तज़िर मेरी हसरतों को नवाज़ दे
तू बिखेर बातों की चांदनी यूँ ही दफ़ अतन कभी आ ज़रा ...
मैं शिकस्ता ख़्वाबों की कतरनें नहीं चुन सका है थकन बहुत
मैं बुझा बुझा सा चिराग हूँ मुझे फिर से आके जला ज़रा ...

 मेरे गिर्दो पेश के वाकए मुझे तोड़कर ही चले गए
मेरी नींद जाने किधर गई उसे दूर से कभी ला ज़रा..

Friday, January 18, 2013

तेरे एक दीदार के लिए तरसे हम रात भर
कियूं तूने दिल से मुस्कुराया मुझे देख कर ...........
चारो तरफ एक ताजगी सी है दिलबर
बहुत दिन नहीं मुस्कुराया साथ में मिलकर...............