Friday, May 2, 2014

****वक़्त के हाथों ***

ग़ज़ल की महफ़िल लगाओ बड़ी उदास ये रात है
आँखों से दरिया बेह निकला कैसी ये बरसात है....

कहो मोहब्बत से आज छेड़े कोई फ़साना कोई कहानी
बहुत अँधेरी, बहुत मायूस, बहुत लम्बी ये रात है..........

वक़्त के हाथों यहाँ क्या-क्या ख़ज़ाने लूट गए
एक तेरा ग़म ही तो बस अब हमारे साथ है..........

कहाँ वो तन्हाई दिन-रात की और अब ये आलम है
तेरे ख्याल ही तेरे क़रीब होने की सौगात है..........

शायर-ए-फितरत हूँ अब होश में कैसे रहूँ
वरक़ वरक़ में लफ्ज़-ए-ग़म की सजी हुई बारात है.........

ऐ काश सुननेवालों के सीने में दिल होता मीना
हकीकत होती है अशआर में समझो तो कोई बात है..............

1 comment:

Unknown said...

Heart touching lines dear