Tuesday, May 13, 2014

****आँखों से आँखों की ज़ुबान पढ़ना****

रात का जगना, दिन का सोना,
उसकी झलक के संग ख़्वाबोँ को संजोना
उसके संग रूठना, फिर मनाना, मान जाना और फिर रूठ जाना ।......

आँखों से आँखों की ज़ुबान पढ़ना
बिन बोले सब कुछ कह जाना
करना दुआ ख़ुदा से हर वक़्त और दुआओँ में बस उसे ही मांगना ।........

उसे दिल में बसाना और फिर उसी के दिल में ख़ुशी से बस जाना
उससे दूर दूर भागना फिर शर्माकर उसी की बाहोँ में समा जाना ।...........


छू के उसके होठोँ को आहिस्ता आहिस्ता कमल सा खिल जाना
कहीं इश्क़ तो कहीं आशिक है प्यार
कहीं ख़ुदा कहीं ख़ुदा का दिया हुआ यह नज़राना...........

1 comment:

ashish said...

Where are you these days?