वफा के शीश महल मे सजा लिया मैने,
वो एक दिल जिसे पत्थर बना लिया मैने......
ये सोचकर के ना हो ताक मे खुशियाँ,
गमो की ओट मे खुद को छुपा लिया मैने.........
कभी ना खत्म किया मैने रोशनी का मुहाज़,
अगर चिराग बुझा दिल जला लिया मैने............
कमाल ये है के जो दुश्मन पे चलाना था,
वो तीर अपने कलेजे पे खा लिया मैने................
जिसकी अदावत मे एक प्यार भी था,
उस आदमी को गले से लगा लिया मैने...................
4 comments:
सुश्री प्रियंका जी
सुभान अल्लाह कितना दर्द है
"कभी ना खत्म किया मैने रोशनी का मुहाज़,
अगर चिराग बुझा दिल जला लिया मैने.."
कि प्यार का दिया जलाने को दिल में जगह होनी जरूरी है|
*******चौखट पर दिया******
बीती बातें दोहराने की आदत सी हो गई है,
चलते चलते रुक जाने की आदत सी हो गई है।
जब दिल पर कोई जख्म लगा खामोश रहें या हंसे,
हमको आंसू पी जाने की आदत सी हो गई है।
हमने कभी सोच नहीं क्या खोया क्या पाया है,
दुनियां से धोखा खाने की आदत सी हो गई है।
अपने सूने घर में वो पल भर के लिए आई थी,
अब चौखट पर दिया जलाने की आदत सी हो गई है।
"प्रियराज"
बहुत खूब प्रियंका जी और राज जी !
आप दोनों लोगों का जवाब नहीं है.आप लोगों का दर्द-ए- बयां बहुत ही खूबसूरत है और जो आप लोगों की दरियादिली दिखाता है
Priyakna ji, mere to alfaz hi khatam ho geye hain..............
Kya khoob likhs hain aapne......
"कभी ना खत्म किया मैने रोशनी का मुहाज़,
अगर चिराग बुझा दिल जला लिया मैने............"
Bahut khoob...........
हकीकत :
तेरे हर नगमे में तेरी मोहबात का पैगाम आया,
तेरे हर ख़त में तेरी चाहत का सलाम आया,
दिल में रही तेरी हसरत मगर लबों पे इनकार आया,
सकूं भरा दिल था मगर आँखों में आंसू का सैलाब आया....
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