Thursday, February 7, 2008

****जफा*****

तुम्हे जफा से यूं ना बाज़ आना चाहिये था,
अभी कुछ और मेरा दिल दुखाना चाहिये था,

तवील रात के पहलू मे कब से सोये है,
नवीद-ए-सुबह तुझे जाग जाना चाहिये था,

बुझे चिरागो मे कितने है जो जले ही नही,
स्वाद-ए-वक़्त इन्हे जगमगाना चाहिये था,

अजब ना था के क़फ्स साथ ले के उड जाते,
तडपना चाहिये था फडफडाना चाहिये था,

ये मेरी हार के करया-ए-जान से हारा मगर,
बिछडने वाले तुझे याद आना चाहिये था,

तमाम उम्र की आसुदगी-ए-विसल के बाद,
आखिरी धोखा था खाना चाहिये था.................................

3 comments:

Raj said...

सुश्री प्रियंका जी

तवील रात के पहलू मे कब से सोये है,
नवीद-ए-सुबह तुझे जाग जाना चाहिये था,

वाह, सुभान अल्हा हमारी अर्ज कुछ इस तरह पेश है

*********

तुम्हें जिद है कि मैं कह दूं, मुझे जिद कि तुम कह दो।
मुझे तुम से मुहब्बत है, कहो मुझ से मोहब्बत है।
नहीं ये जानते हम दोनों|

मुहब्बत कब मोहताज होती है लफ़्ज़ों की बातों की,
मुहब्बत तो हमारी धडकनों के साज में शामिल
सुरीले गीत की मानिद!!

मुहब्बत याद की देवी जो तन्हा रात को अक्सर आती है आखों में!!
मुहब्बत सोच की गहराईयों से फूटती खुश्बू हमेशा रहती है!
मुहब्बत मुस्कराती है!!

"प्रियराज"

Raj said...

सुश्री प्रिया जी
बहुत ही दिल की बे-करारी "जफ़ा" में जताई हैः आपने, किन शब्दों में शुक्रिया अद करूं?
"ये मेरी हार के करया-ए-जान से हारा मगर,
बिछडने वाले तुझे याद आना चाहिये था,"

मेरी पेश-कश शायद यह पाठकों के दिल को "करार" दे देः

*****दिल की किताब*****

मेरे दिल की किताब को पढना कभी,
सपनों में आके मुझ से मिलना कभी।

मैंने दुनियां सजाई है तुम्हारे लिये,
मेरी नजरों की उम्मीद बनना कभी।

बहुत दूर है सितारों से रोशन जहां,
जरा हम-कदम बनके साथ चलना कभी।

बहुत नाजुक सा सीने में दिल है मेरा,
तुम अन्दाजे मोहब्बत बनके धडकना कभी।

"प्रियराज"

Raj said...

Humble Wishes
Very-Very Happy Valentine Day to all Friends/Viewvers from "Raj" Member and Fan of Mere Nagme....Ek Nacheez of Hon. Mis Priyanka. A Awarded Shayarani of 2007.
"Priyraj"
Jaipur, 14th Feb., 2008