दिल को तो दीवाना बना देती है आंखे,
वो हमसे बात नही करते, तो ना करे,
हाल सारा उनके दिल का सुना देती है आंखे,
गम सदा रहता है, आदमी से साथ
अश्क़ बनकर छलका देती है आंखे,
आता है जब दौर-ए-जवानी, तो ए दोस्त,
सुंदर सपने ज़हन मे बसा देती है आंखे,
माना के नींद आती है, आंखो ही के रास्ते,
मगर कभी खबर नींद भी उडा देती है आंखे,
शुक्र है खुदा ने अदा की आंखो की नेमत हमे,
दर्द-ओ-गम सारे दिल के छुपा देती है आंखे..................
2 comments:
सुश्री प्रियंका जी
हम आज कुछ अपना दर्द आपकी खिदमत में इस तरह पेश करते हैं
आज उस ने दर्द भी अपने अलहेदा कर दिये,
आज मैं रोया तो मेरे साथ वो रोई नहीं थी।
ये सभी वीरानियां उस के जुदा होने से थीं,
आंख धुंधलाई हुई थी शे-हर धुंधलाया ना था।
याद करके और भी तकलीफ़ होती "प्रियराज",
भूल जाने के सिवाय अब कोई भी चारा ना था।
"प्रियराज"
आदरणीया प्रियंका जी
"हाल सारा उनके दिल का सुना देती है आंखे"
शत-प्रतिशत सत्य हैः
****आंखों मै****
किसी से बात करना, बोलना अच्छा नही लगता,
तुम्हे देखा है जब से, अब दूसरा अच्छा नही लगता।
तुम्हारी आंखों मै जब से मैंने अपना अक्स देखा है,
मेरे चेहरे को अब कोई आईना अच्छा नहीं लगता।
"प्रियराज"
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