Thursday, October 18, 2007

Kuch Nacheez Se Nagmen.........

Kuch Chand Naccheez Se Nagme Peshe Khidhmat Hai...........


क्या हुआ मैने अगर हाथ बढाना चाहा,
आपने खुद भी तो दामन ना बचना चाहा,
यूं तो फासने-ए-उल्फत था गज़ल से रंगीन,
हमने तो कुछ और भी रंगीन बनाना चाहा.



आपसे दुर भला हम कैसे रह पाते,
दिलसे आपको कैसे भुला पाते,
काश की आप सांसो के अलावा आईने मे भी बसे होते,
खुद को देखते तो आप ही नज़र आते.



सपने थे सपनो के आप साहिल हुए,
ना जाने कैसे हम आपकी दोस्ती के काबिल हुए,
कर्ज़दार है हम उस हसीन पल के,
जब आप हमारी छोटी सी दुनियाँ मे शामिल हुए.





कितनी बेचैन है ये सांसे मेरी
बिना तेरे बहुत रोती है ये आंखे मेरी,

कब से मेरी आंखो को नींद आती है नही
बाहे मांग़ती है मुझ से राते तेरी,

जान आजाओ के अब दिल कही लगता ही नही
तुम को बुला रही है ये बाहे मेरी,

कितनी बेचैन है ये सांसे मेरी,
बिना तेरे बहुत रोती है ये आंखे मेरी,.........................................


Ek Nacheez............

2 comments:

Raj said...

Priyanka ji

Bahut dino baad dikhe aapke teer chalte hue.
I have no word....to express my feeling.....?

Mjuse raha na gay so Jameen se uda Purr Aasma tak Jaya na gaya.

"मुझे माफ़ कर मेरे हमसफ़र"
******

मुझे माफ़ कर मेरे हमसफ़र,
तुझे चाहना मेरे भूल थी,
किसि राह पर वो एक नज़र,
तुझे देखना मेरी भूल थी....
***
कोइ नज़्म हो या कोइ गज़ल,
कहीं रात हो या कहीं शहर,
वो गलि गलि वो शहर शहर,
तुझे ढूढ्ना मेरी भूल थी....
***
मेरे गम की कोई दवा नहीं,
मुझे तुझसे कोई गिला नहीं,
मेरा कोई तेरे सिवा नहीं,
ये सोचना मेरी भूल थी....!!!
***
"प्रियराज"

Uttam said...

Kya baat hain ek se badh kar ek likha hai..Wahhhhhhh

Jab raat ki baat aayi to dekho humne kya likh daali

Raat ko jaag jaag kar yaad kiya karte hain
Fir sote hai to tere hi khwaab dekha karte hain
ab is haalat ko kyaa naam dein hum,
Duniya wale to deewaana kahaa karte hain..