Saturday, October 20, 2007

*******मज़बूरी*********

वो हमको बुलाते है हम जा भी नही सकते
मज़बूरी मगर उनको बतला भी नही सकते,

ना जाने खता क्या है इस कदर खफा है वो,
पहलू मे उन्हे अपने हम ला भी नही सकते,

चाहे ना बिठाये वो मेहफिल मे हमे अपनी
दिल मे वो हमारे है ठुकरा भी नही सकते,

अब आखिरी सांसे है जाते है जहाँ से हम
संदेशा उनको भिजवा भी नही सकते..................

3 comments:

Raj said...

बहुत खूब प्रिया जी

शायरी के शिखर पर पहुंचें आप
****चिरागों की तरह****

गरमी-ए-हसरत के नाकाम से जलते हैं
हम चिरागों की तरह हर शाम से जलते हैं

जब आता है नाम तेरा मेरे नाम के साथ
ना जाने कितने लोग हमारे नाम से जलते हैं

प्रियराज

Anonymous said...

excellent priyanka ji...........
how mindblowing lines these are!

Uttam said...

Aur aap wahaan chale gaye to..
Hum wapas aapko laa bhi nahi sakte..
:-)