Friday, October 19, 2007

*****हमसफर*******


तन्हा हूं इस दस्त मे साथ दे कोई
हाथो मे दे हाथ ऐसा हो हमसफर कोई

मै हूं प्यासी और तेरी आंखे है झील
इस झील तक मुझको पहुँचा तो दे कोई

निभाऊंगी तमाम उम्र अब तेरे साथ
शर्त ये है की ना आये दुसरी कोई

मै लिख तो लू दिल पे वो नाम मगर
तेरा नाम तो मुझको बता दे कोई

वो ना भी मिला तो क्या उसकी यादे तो है
बस इन यादो को ना मुझसे छिने कोई.

2 comments:

Raj said...

प्रियन्का जी

"निभाऊंगी तमाम उम्र अब तेरे साथ
शर्त ये है की ना आये दुसरी कोई"
दिल के किस कौने में छुपा रहे थे इतनी बडी प्यार की कहानी को चलो मौका मिला है तो शामिल होते है इस द्वन्द युद्ध मे इस तरह

किसी नजर को तेरा इन्तजार आज भी हॆ
*****
किसी नजर को तेरा इन्तजार आज भी हॆ
कहीं हो तुम कि ये दिल बेकरार आज भी हॆ

वो वादियां वो फिजायें, कि हम मिले थे जहां
मेरी वफा का वहां पर मजार आज भी हॆ

किसी नजर को तेरा इन्तजार आज भी हॆ...

न जाने देख के क्यों उनको ये हुआ अहसास
कि मेरे दिल पे उन्हें इख्तियार आज भी हॆ

किसी नजर को तेरा इन्तजार आज भी हॆ...

वॊ प्यार जिस के लिये हमने छोड दी दुनिया
वफा की राह में घायल वो प्यार आज भी हॆ

किसी नजर को तेरा इन्तजार आज भी हॆ...

यकीन नहीं हॆ मगर आज भी यह लगता हॆ
मेरी तलाश में शायद बहार आज भी हॆ

किसी नजर को तेरा इन्तजार आज भी हॆ...

न पूछ कितने मोहब्बत के जख्म खायें हॆं
कि जिनको सोच के दिल सोगव्वार आज भी हॆ

किसी नजर को तेरा इन्तजार आज भी हॆ
.......प्रियराज........

rangnath said...

बहुत खूब प्रियंका जी
आपकी तारीफ के लिए मेरे पास शब्द नहीं है
Excellent priya jee


रहते हैं साथ साथ मैं और मेरी तन्हाई
करते है राज़ की बात मैं और मेरी तन्हाई

दिन तो गुज़र ही जाता है दुनिया की भीड़ मैं
करते हैं बसर रात मैं और मेरी तन्हाई

सांसों का क्या भरोसा कब छोड़ जाएं साथ
लेकिन रहेंगी साथ मैं और मेरी तन्हाई

आये न कभी याद कभी भूल कर भी हम
करते है तुम्हे याद मैं और मेरी तन्हाई

आ के पास क्यूँ दूर हो गए हमसे
करते है तेरी तलाश मैं और मेरी तन्हाई