Monday, June 11, 2007

*****जिंदगी*******


जिंदगी जीने के काबिल नहीं

पर मौत से कुछ हासिल नहीं,


चारागर से क्या उम्मीद रखें

जब चराह से हम ही कायल नहीं,


फ़िरुंगा बे-फ़िक्र अर्सा-ए-आलम

अब कोई मेरा हामिल नहीं,



रोटी के चार हर्फ़,कुछ पन्ने किताबों के,

जिंदगी से कुछ और हासिल नहीं.

4 comments:

Raj said...

"ऐसे भी मोड आते हैं जिन्दगी में"

रिश्ता उल्फत का यूं ही निभाया जाता है,
अश्क पी कर ही मुस्कराया जाता है,
ऐसे भी मोड् आते हैं जिन्दगी में,
किसी की खातिर खुद को ही,
मिटाया जाता है,

Uttam said...

Wonderful!! Kuch pal ehsaas se baahar aane me aur kuch pal comment ke liye alfaz dhoondne mein hi gujar gaye...
Bahut hi umda..

Humein hasil bahut tha jab aap na the

Aap mile to laga utna mila jitne k kaabil na the

Aap juda hue, haal hua aisa,Na aap mere, Na khuda mera

Kaash aap meri jindagi me aye na hote!!!
(genuinely uttams)

Anonymous said...

बात तो बिल्कुल सही कही आपने प्रियंका जी

Anonymous said...

.......Priyanka........