अगाज़-ए-उल्फ़त मे रुसवाई नही होती,
आईना निभाता है बेबाक देहारी अपनी
अक्स से कभी हम-नवा-ई नही होती,
जोश कायदा है जिंदगी का
बहते पानी मे कभी काई नही होती,
आदमी का बस यही ग़म-ए-दौरान है
इश्क से कभी रिहाई नही होती !
3 comments:
"तेरी बारात से जनाजा मेरा अच्छा होगा"
मेरा हर दिन तेरी रात से अच्छा होगा
मेरा शेयर तेरे जज्बात से अच्छा होगा
इन्हीं निगाहों से देखना ऐ मेरी बेवफा
तेरी बारात से मेरा जनाजा अच्छा होगा
Wonderful!! priyanka kya jajba hai!
Ishq se rehai mil bhi jaaye to hum kahaan jaayen,
Is berang jindagi ko kahaan gujaar aayen,
Saanse chal bhi gaye ishq ki be-maujoodgi mein,
Is dil ko dhadakne ke liye kaise manaayen..
(genuinely uttams)
simply great
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