Thursday, June 21, 2007

*****तनहाई का गम ************



मुझे जब उन का गम तनहाई में आ के सताता है

तभी ख्यालों में उन का चेहरा आ के मुस्कराता है,


जो मैं रातों को सोती हूं तो उन से दूर होती हूं

बज़रिए ख्वाब, पर दीदार उन का हो ही जाता है,


जो दिन में राह चलती हूं तो होता है गुमां मुझको

कि साया तैरता उन का हवा में साथ आता है


चमन-ओ-वादियों के बीच से जब भी गुज़रती हूं

हवा का झोंका उन की खुशबुओं को संग लाता है,


वो पोशीदा रहेंगे कब तलक मुझ से आखिर

न जाने जन्म का कितने हमारे बीच नाता है ! ...................

3 comments:

Kunal said...

Ab kya likhun main es creation ke baarein mein. Sirf itna hi keh sakta hun Simply Great...............

Anonymous said...

lajawab priyanka ji
ek baat aur kahunga ki aapke sabhi poetries mein photo bahut hi sandar hain

Shailesh said...

lajwaab.....

khuda kare ki tum aur tumhari kavita logo ke dilo pe raaj kare..

God belss u

Regards
Shaile