जब उन्होंने दाद दी तो इतना सिर्फ़ हम कहे
आप का करम कलम से आज अश्क हैं बहे,
है हमारे रुख पे नूर की झलक मिली उन्हें
वो क्या जानें उन के वास्ते हैं कितने गम सहे,
अश्क तो बहे मगर न आग को बुझा सके
ज़ाहिराना मुस्कराते दो बिचारे दिल दहे,
हम भी थे जवान आसमान में उड़े बहुत,
जब ज़मीन पर गिरे वो ख्वाब के महल ढहे,
लमहे आये हैं वो ज़िन्दगी में बारहा
जब लगा कि इस जहां में हम रहे कि न रहे !..................................
6 comments:
जितना सुन्दर चिट्ठा है, उससे सुन्दर चित्र और सबसे सुन्दर कविता के भाव।
priya ji ....bahut khoob........aapki tareef ke liye mere paas shabd kam pad jaate hai ..............aapki poems dil ko choo lene wali hoti hai .....keep posting like that
thanx
Bahut Khub Priyanka Ji....
Ap ki rachnayen jabardast hain...
In fact I'm fan of ur art....
Urdu sabdawali ka use... awesome..!!!
All the best for ur career...
Kya baat hai.. Maut maar daal ne waali chuban hai is gazal mein..
Zara hamaari bi suniye..
Woh hamaare daad se kitne udaas hain..
Hum to unke deed se jee uth-te hain..
Hum kuch bura hi sunaa dete agar..
Jaante ke.. tareef se bhi log rooth-te hain!!!
(genuinely uttams)
excellent priyanka ji
you've told right thing.
excellent priyanka ji
you've told right thing.
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