हम को न खबर थी दुनिया में दिल की भी तिज़ारत होती है
आशिक के दिल में करूं ज़फ़ा ऐसी क्यों आदत होती है,
नादान उमर, दिल भोला था हम इश्क अचानक कर बैठे
मालूम हुआ है अब हम को ये प्यार भी आफ़त होती है,
माना हम मन्दिर मस्जिद में सज़दे न खुदा के करते हैं
हम प्यार जो सच्चा करते हैं ये भी तो इबादत होती है,
नामुमकिन है अन्दाज़-ए-अदा उन की उल्फ़त के जान सकें
उन के सपनों में न आयें तो हम से शिकायत होती है
लाखों चलते हैं, मगर मन्ज़िल कोई एक ही पाता है
न जाने क्या उन लोगों में ऐसी भी लियाकत होती है ! ..............
4 comments:
माना हम मन्दिर मस्जिद में सज़दे न खुदा के करते हैं
हम प्यार जो सच्चा करते हैं ये भी तो इबादत होती है,
Wonderful...
Kyaa baat hai..
मान गये प्रियंका जी खूब कहा आपने
प्यार कि समझ आपको बहुत अच्छी है और हो भी क्यों न आखिर शायरों को इसकी समझ न होगी तो किसे होगी । हम जैसे लोग तो आप जैसे लोगों का अनुसरण करते हैं ।
ये पंक्तियॉ ह्रदयस्पर्शी हैं ।
मत करो कोई वादा जिसे तुम निभा न सको
मत चाहो उसे जिसे तुम पा न सको
मत करो कोई वादा जिसे तुम निभा न सको
मत चाहो उसे जिसे तुम पा न सको
प्यार कहां किसी का पूरा होता है
इसका तो पहला अख़्छर ही अधूरा होता
wah wah kya baat hai Priyanka jee
maza aa gaya.
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