Friday, April 18, 2014

****मुहब्बत का महीना****

देखिये फूलों को जीना आ गया
फिर मुहब्बत का महीना आ गया...

कब तलक आखिर बचेंगे आप भी
शरबती आंखों से पीना आ गया ...

कितना मुश्किल था जुदाई का सफ़र
सामबे उनका सफीना आ गया ......

अब न टूटेंगे वफ़ा के सिलसिले
बेवफाई को पसीना आ गया ....

हर बरस की हाय बेबस दूरियाँ
चाँदनी को होंठ सीना आ गया...........

No comments: