आप को भुला जाये इतने तो बेवफा नही,
आप से क्या गिला करे, आप से कुछ गिला नही,
शीशा-ए-दिल को तोडना उनका खेल है,
हमसे ही भुल हो गयी उनकी कोए खता नही,
काश वो अपने गम मुझे दे दे तो कुछ सुकून मिले,
वो कितना बदनसीब है गम जिसे मिला नही,
करनी है अगर वफा कैसे वफा को छोड दूं,
कहते है इस गुनाह की होती कोई सज़ा नही...................
4 comments:
Wah kya baat hai
na-gunah ki khata to hum baar baar karein..
humaari or se..
Bas Jhoolne se koi sharaabi nahi kehlaata
Sirf Bhoolne se koi bewafa nahi ban jaata
Chalo aap mujhe bhoolo aur main tumhe
kyoki sirf yaad rakhna bhi wafa nahi kehlaata!!
(Genuinely Uttam's)
in last comment i meant
na-sazaa ki khata to hum baar baar karein..
simply excellent priya ji
प्रियंका जी
शीशा-ए-दिल को तोडना उनका खेल है,
हमसे ही भुल हो गयी उनकी कोए खता नही,
"इस मोम और धागे का मिलन और जुदाई ही जीवन का शाश्वत् सत्य है इसे आत्मसात् करिएगा।"
जल रहा है धागा,
अरे मोम तू क्यों पिघल रहा है,
मोम बोला, जिसको बसाया है,
दिल में उसे कैसे पिघलते देखूं|
****सज़ा ना दीजिएगा****
बातें करके रुला ना दीजिएगा...
यू चुप रहके सज़ा ना दीजिएगा...
ना दे सके ख़ुशी, तो ग़म ही सही...
पर दोस्त बना के यूही भुला ना दीजिएगा...
खुदा ने दोस्त को दोस्त से मिलाया...
दोस्तो के लिए दोस्ती का रिस्ता बनाया...
पर कहते है दोस्ती रहेगी उसकी क़ायम...
जिसने दोस्ती को दिल से निभाया...
अब और मंज़िल पाने की हसरत नही...
किसी की याद मे मर जाने की फ़ितरत नही...
"प्रियराज"
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