सकूत-ए-जान का मतलब बता दो फिर चले जाना,
या फिर सर्गोशियाँ दिलकी सुना दो फिर चले जाना,
जो मेरा और तुम्हारा वक़्त गुज़रा हसने रोने मे,
उसे पूरी तरह से तुम भुला दो फिर चले जाना,
ये सारे पेड पौधे तुम बीन कई रात जागे है,
तुम आके एक बार इनको सुला दो फिर चले जाना,
किसी को चाहने का और किसी से चाहे जाने का,
जो है एहसास तुम उसको भुला दो फिर चले जाना,
बस एक मुर्दा हंसी से अपने अश्क़ो को छुपाने का,
जो फन आता है तुमको, वो सिखा दो फिर चले जाना,
वो जो एक लफ्ज़-ए-उल्फत है जुदा है अपने मानी से,
बस इन अल्फाज़-ए-मानि को मिला दो फिर चले जाना,
जो कहते कहते रूक गये उन सारी बातो की,
समात को तलब है वो सुना दो फिर चले जाना,
ना जाने क्यो है लेकिन देखने की तुमको आदत है,
मेरी ये बेवजह आदत छुडा दो फिर चले जाना.................................
2 comments:
"बस एक मुर्दा हंसी से अपने अश्क़ो को छुपाने का,
जो फन आता है तुमको, वो सिखा दो फिर चले जाना,"
प्रियन्का जी
हमने देखा था दर्द जिन्दगी का, सो ये है सलाह हमारी...
********जाते जाते********
दिल के अह्सास से दामन को बचा कर रोना..
भीगी पल्को को जमाने से बचा कर रोना..
उस ने मुड कर भी नही देखा मुझे जाते जाते..
हम ने चाहा था जिसे सीने से लगा कर रोना..
"प्रियराज"
excellent job done by both priyanka ji and girraj ji
no doubt both have mastery in saying emotions and feelings in words...............
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