Thursday, December 27, 2007

*****दर्द अभी बाकी है*******

इस दिल मे भी हसरतें बाकी है,
तेरी वफा का अभी करना हिसाब बाकी है,

जो सवाल हमारे दिल की तडप ने है पुछे,
उनकी वफा मे लिखना हिसाब बाकी है,

स्याही सुख भी जाये कल तेरे लौटने तक,
तू घबराना नही मेरे रंगो मे लहुँ बाकी है,

इस ज़िन्दगी की खत्म नही किताब यही,
पन्ने दिलचस्प अभी पलटने बाकी है......................



मेरी मजबूरी है वो कोई मजबूरी तो नही,
वो मुझे चाहे या मिल जाये ज़रूरी तो नही,

ये कुछ कम है क्या बसे है मेरी सांसो मे,
वो सामने हो मेरी आंखो के ज़रूरी तो नही,

जान क़ुरबान मेरी उसकी हर मुस्कुराहट पर्
चाहत का तकाज़ा है येही अक़्ल-ए-खुरूरी तो नही,
अब तो निकल के आंखो से यादो मे जा बसे है वो.....................

2 comments:

Raj said...

बहुत खूब प्रियन्का जी
"ये कुछ कम है क्या बसे है मेरी सांसो मे,
वो सामने हो मेरी आंखो के ज़रूरी तो नही,"
शायरी की दुनियां में जवाब नहीं....आपका

लम्हा लम्हा गुज़र के दफ़न हो रहा है सीने में,
सह कर ये दर्द कुछ अजब मज़ा आने लगा है जीने में|
जाने ये किस रह्गुज़र पे कदम हमने बढाये हैं,
जाना था किस मन्ज़िल किस ओर निकल हम आये हैं|

"प्रियराज"

Anonymous said...

bahut khub priyanka ji wafa koi sikhe toh aapse hi