Wednesday, April 18, 2007

*****जफ़ा*******


प्यार कर के जफ़ा हम सहें या नहीं
सुन के इलज़ाम चुप हम रहें या नहीं

राज़ ज़ाहिर न हो कोई रुसवा न हो
दर्द दिल का किसी से कहें या नहीं

रोके रुकते नहीं चुप ये रहते नहीं
इश्क में अश्क मेरे बहें या नहीं

दिल में इन को सजाऊं भला कब तलक
ख्वाब के खन्डहर अब ढहें या नहीं

क्या सबब था हुए दूर हम से
राज़ की ये खुलेंगी तहें या नहीं.

Regards,

7 comments:

kam's said...

priyankaji.. bahut aachi shaayari

Raj said...

Zindagi mein hamesha SMART log milenge,
kahi zyada to kahi kum milenge,
choice zara sochke karna,
zaroori nahi har jagah tumhe hum jaise milenge

Unknown said...
This comment has been removed by the author.
Priyanka Srivastava said...

Thanks
Kam's & Raj Ji,


यूं तो मेरी नज़रों में वो दिन रात समाये रहते हैं
मिलने की सूरत कोई नहीं मैं चैन जरा पाऊं कैसे

Regards,
Nacheez.

Anonymous said...

bahut khub priyanka ji

Anonymous said...

excellent priyanka ji

Prabhat Kumar said...

bahut khub....

yu nafrat se na kanton ko dekho...
kam ayange
fakat foolon se hai e gul...
dosti achchi nahi hoti....