अशार मेरे यूं तो ज़माने के लिए हैं
कुछ शेर फ़क़त उनको सुनाने के लिए हैं...
अब ये भी नहीं ठीक की हर दर्द मिटा देंकुछ दर्द कलेजे से लगाने के लिए हैं....
आँखों में जो भर लोगे तो काँटों से चुभेंगेये ख्व़ाब तो पलकों पे सजाने के लिए हैं....
सोचो तो बडी चीज़ है तहज़ीब बदन की
वरना तो बदन आग बुझाने के लिए हैं........
ये इल्म का सौदा ये रिसाले ये किताबेंइक शख्स की यादों को भुलाने के लिए हैं............
No comments:
Post a Comment