Thursday, April 12, 2007

*****“वक्त”*****


ईश्क इस जमाने में है, मौत की कगार पर ।
लोग थूक के जाते हैं, आशिक की मजार पर ।

विश्वास की कसौटी पर जब अपने ही न खरे उतरे,
कोई कैसे यकीन कर ले दूसरों के प्यार पर ।

जिसको जिताने के लिए हम हारते चले गए,
मेरे आँसू भी अब रो रहे हैं, उस जानेमन की हार पर ।

कभी तो अपना भी वक्त था, पर वक्त वक्त की बात है,
अब साँसे मरी कुर्बान हैं, इस जालिम वक्त की मार पर ।

5 comments:

Anonymous said...

great priyanka ji.you have talent to expose emotions in poetry

Anonymous said...

great priyanka ji.you have talent to expose emotions in poetry

¥äšħ said...

Great Work priyanka...

Isi baat me main apna likha hua ek sher arj karta hoon....


Kabhi waqt mila to waqt ko waqt kya hota hai samjhayenge,

Aaj ka waqt hai waqt ki thokarain khane ke liye.

- Yash 'Tanha' dil

सुनीता शानू said...

प्रियंका जी बहुत सुंदर तरीके से आपने लिखा है,..

"विश्वास की कसौटी पर जब अपने ही न खरे उतरे,
कोई कैसे यकीन कर ले दूसरों के प्यार पर"
मन के भावो को व्यक्त करने का आपका अन्दाज़ अच्छा लगा,..
लिखती रहें
बधाई,..
सुनीता(शानू)

सुनीता शानू said...
This comment has been removed by the author.